नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमित है, मैं पिछ्ले कई सालों से Sex Stories का नियमित पाठक रहा हूँ
आज मैं अपनी ज़िंदगी की एक घटना की कहानी सुनना चाहता हूँ, यह मेरी पहली कहानी है तो जो भी ग़लतियाँ हो उनके लिए माफी चाहता हूँ,
पहले मैं अपने बारे में बता दूं, मैं दिल्ली में एकजानी मानी मल्टिनॅशनल कंपनी मे सॉफ़्टवेयर इंजिनियर हूँ, मेरी हाइट 5’9 है, मुझे टेनिस खेलने, साइकलिंग करने और दूसरे स्पोर्ट्स का भी शौक है तो मेरी एथलेटिक बॉडी है और सिक्स पैक्स ऐब्स भी है और मेरा रंग भी गोरा है तो मैं दिखने में भी अच्छाख़ासा दिखता हूँ,
तो बात तीन साल पहले की है, जब मैं बी. टेक थर्ड इयर का स्टूडेंट था और छुट्टियो मे घर आया था. उसी समय मेरे एक कज़िन वीर की शादी में मुझे जाने का मौका मिला, उसका घर मेरे शहर के पास के कस्बे मे था और उसे शादी की शॉपिंग के लिए शहर आना था तो उसने मुझे अपने आने की बात बताई और अगले दिन सुबह आने का वादा किया, अगली सुबह ही वो मेरे घर आ गया और हमने दोपहर दो बजे तक सारी शॉपिंग पूरी कर ली, हमने एक रेस्टौरेन्ट मे खाना खाया और वापस उसके घर के लिए निकले तब उसने मुझे बताया कि रास्ते मे उसे अपनी एक दूसरी कज़िन छवि(बदला हुआ नाम) को भी पिक करना था जो रास्ते मे ही कहीं हमसे मिलने वाली थी, हम थोड़ी देर मे ही उस जगह पहुँच गये जहाँ उसे मिलना था
तब मैने पहली बार छवि को देखा और देखता ही रह गया, हरे रंग के बॉडी टाईट कुर्ते मे वो एकदम अप्सरा लग रही थी, उसका रंग दूध सा गोरा था, उसने चेहरे पर बहुत हल्का सा मेकअप किया हुआ था पर उसने आँखो पर गहरा काजल लगाया हुआ था जो मानो उसकी बड़ी बढ़ी गहरी आँखो की झील की फेन्सिंग सी कर रहे थे, उसके होंठ बिना लिपस्टिक के भी एकदम सुर्ख कश्मीरी सेब से लाल थे और मानो अपना रास्पान कराने का न्योता दे रहे थे, उसके काले बालअच्छे से पीछे बँधे हुए थे पर उसमे दो. लतें चेहरे की दोनो तरफ से निकल कर उसके चेहरे पर आ रही थी मानो उसके खूबसूरत चेहरे पर पहरा दे रही हों उसका फिगर 36-28-36 का रहा होगा जो गजब ढा रहा था, उसपर उसनेथोड़ा लो-कट कुर्ता पहना हुआ था जिससे उसके क्लीवेज का उपरी हिस्सा झाँक रहा था, उसने गले मे एक पतली सी चैन पहनी हुई थी जिसमे एक नीले रंग का छोटा सा लॉकेट लटक था जो ठीक उसके क्लीवेज पे जा रहा था और बेजान हो कर भी मानो जन्नत के मज़े ले रहा था,
मैं उसकी अप्सराई खूबसूरती मे गोते लगा रहा था या डूब ही चुका था तभी वीर मुझे वापस इस दुनिया मे लाया जब उसने हमरा परिचय कराया मैने हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाए तो उसने अपने मलाई से कोमल हाथ मेरे हाथों मे रख दिए, वो हमारा पहला स्पर्श था, मेरे पूरे शरीर मे जैसे सिहरन सी दौड़ गयी, हमारी नज़रें मिली और उसने एक कातिलाना मुस्कान से मुझ पर हमला कर दिया मैं बेचारा पहले ही उसकी खूबसूरती से घायल था उसका सामना कैसे करता, मेरा लॅंड मेरी जींस के अंदर से ही सावधान पॉजिसन मे आ गया पर तब तक देर हो चुकी थी मेरा कत्ल उसकी कातिल मुस्कान से हो तब तक हो चुका था,
हम गाड़ी मे बैठे मैं और वीर आगे की सीट मे बैठे थे और छवि पीछे की सीट पे रास्ते मे बार बार मेरी नज़रें खुद ही रियर व्यू मिरर से उसे देख रही थी और कई बार उसने मुझे पकड़ा भी था पर हर बार उसने इस गुस्ताख़ी की सज़ा मे अपनी कातिल मुस्कान से ही दिया, खैर हम घर पहुँच गये और फिर तब तक थोड़ी सी शाम हो चुकी थी हम सब घर वालों से मिले और हम यूँ ही कामों मे लग गये पर मेरा छवि से आँखें मिल जाना और उसका एक कातिल मुस्कान से जवाब देना बीच बीच मे होता रहा और ऐसे ही रात हो गयी,
सभी लोग डिनर करने के बाद सोने की तय्यारी मे थे पर मुझे देर रात तक जागने की आदत थी, शादी की वजह से घर मे काफ़ी लोग थे तो हम कुछ लोगों ने छत पे सोने का प्लान बनाया क्योंकि गर्मी भी काफ़ी थी और उस दिन हवा भी अच्छी चल रही थी, हमने छत पर ही गद्दे बिछा लिए पर हमको अभी नीद नही आ रही थी तो हम सब अंताक्षरी खेलने लगे, और इसी बहाने मैने कुछ रोमॅंटिक सॉंग्स गाने का मौका मिल गया और ऐसा करते समय मैं चुपके से छवि की आँखो मे देखता तो वो भी मेरी तरफ तिरछी नज़रों से देख के मुस्करा देती, ऐसे ही करते करते सबने एक-एक बिस्तर पकड़ा और सो गये, मैने जानबूझकर ऐसी योजना बनाई की छवि के बगल वाला गद्दा मुझे ही मिला,
अब रात काफ़ी हो चुकी थी और सभी लोग सो गये थे पर मुझे कॉलेज मे देर रात तक जागने की आदत थी तो मैं अब भी जाग रहा था और सोता भी कैसे मेरे बगल वाले गद्दे मे एक अप्सरा लेटी हुई थी मेरी आँखों की क्या मज़ाल की उसके चेहरे से हटके सो जाएँ, मैं बस चाँद की रोशनी मे उसके खूबसूरत चेहरे को निहारे जा रहा था, पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी की कुछ करूँ, इतने में उसने नींद मे ही अपना एक हाथ चादर से बाहर निकल कर मेरी तरफ बढ़ा दिया पर मैं अब भी कुछ करने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था अब उसने एक और अंगड़ाई ली और अपनी बाईं टाँग मोड़ लिए जिससे उसके पंजे मेरे पंजों से टकरा गये मुझे फिर भी लग रहा था की वो शायद नींद मे ही ऐसा कर रही है पर मैने अपना पैर पीछे नही किया अब मेरा लॅंड सक्रिय होकर अंगडायाँ लेना शुरू कर च्का था पर क्योंकि ये मेरा पहला ऐसा अनुभव था मैं अब भी हिम्मत नही जुटा पा रहा अपनी तरफ से कोई चाल चलने की.
मेरी दुविधा को समझ कर उसने अपने पैर के अंगूठे से मेरे पैर को सहलाना शुरू कर दिया अब मुझे हरी बत्ती मिल चुकी थी अब मैं समझ चुका था की वो जाग रही है, अब मैं अपनी चाल चलने को तय्यार था सब से पहले मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसके मुलायम हाथों मे रख दिया उसने भी मेरा साथ देते हुए अपनी उंगलियाँ मेरी उंगलियों मे फँसा दी, अब मैं थोड़ा सा और उसकी ओर खिसक गया और अपनी चादर को उसकी ओर फैला दिया जिससे हमारे हाथ ढक जाएँ अब मैने धीरे से हाथ उसकी हाथों के रास्ते सहलाते हुए उसकी चुचियों पर पर्वतारोहण किए और उसके चूचे धीरे धीरे सहलाने लगा और उसकी हल्की सी सिस्कारी निकल गयी पर उसने अपने आपको कंट्रोल किया क्यों की बाकी सब सो रहे थे और रात के सन्नाटे मे थोड़ी सी आवाज़ से भी कोई जाग सकता था
अब मैने उसके चूचों को थोड़ा और ज़ोर से दबाना शुरू किया उसने आँखें बंद कर ली थी और इसका आनन्द लेने लगी अब थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैने उसके कुर्ते को ऊपर किया और अपना हाथ उसके पेट पहले उसके हल्के से रखा फिर धीरे से उसके नाभि पे गुदगुदी की तो वो एकदम मचल गयी अब मैने अपना हाथ उसके पेट को सहलाते हुए उपर की ओर बढ़ाया और उसकी ब्रा के नीचे से उसकी चुचियों पे रख दिया, और उन दूध की घाटियों का पूरे मज़े से मसल कर दोहन करने लगा, मुझे महसूस हुआ की उसने अपनी ब्रा का हुक पहले खोल रखा था तो मैने इस रुकावट को खींच कर बाहर निकाल दिया उसने भी अपने कंधे उठा कर इसे निकालने मे मेरा साथ दिया
अब मैं बिना किसी अड़चन के उसके दोनो पर्वतों को बारी बारी से दबाकर और उसके निप्पलोन से खेलकर आनंद के एवरेस्ट पर था और हालाँकि वो आवाज़ें नही निकाल रही थी पर उसके चेहरे के भावों से ये समझ आ रहा था की वो भी इसके मज़े ले रही थी
उसने अपना हाथ चादर के नीचे नीचे ही खिसकते हुए पहले मेरी जाँघ पर फिर मेरे लोवर के उपर से ही मेरे लॅंड पर रख दिया मेरा लॅंड तो कब से सावधान अवस्था मे ही था उसके छूते ही वो और कड़क हो गया अब उसने धीरे धीरे अपने हाथों को मेरे लॅंड पर सहलाना शुरू किया इधर मैने भी उसकी घाटियों की सवारी के बाद उसकी चूत की गुफा के लिए अपने हाथों का प्रस्थान किया धीरे धीरे हाथ नीचे करते हुए मैं उसकी नाभि के नीचे उसकी चूत के चौकीदार सलवार के नारे तक पहुँचा मेरे अंदर का जानवर अब जागने लगा था तो मैने बिना देर किया उसका नारा खींच दिया उसका चौकीदार ढेर हो गया था अब मैने सलवार के नीचे हाथ डाल कर उसकी पेंटी पर हाथ रखा जो अब तक के खेल के रोमांच से काफ़ी सराबोर हो चुकी थी, थोड़ी देर उपर से ही सहलाने के बाद मैने अपना हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाल दिया उसने भी अपनी साँस खींचकर मेरा स्वागत किया और उधर अपना हाथ भी मेरे अंडरवियर के अंदर डाल दिया
इधर मैने उसके भज्नासे की घंटी बजाई तो उसने अपनी चूत का दरवाज़ा खोल दिया और मेरी उंगली अंदर प्रवेश कर गयी, उधर उसने मेरे लॅंड के साथ खेलना शुरू कर दिया, अब हम दोनो एक दूसरे को अपने हाथो से ही आनंद की उचाईयों मे सैर करा रहे थे पहले मैने अपनी बीच वाली उंगली से उसकी चूत को धीरे धीरे गुदगुदाना शुरू किया और उसने भी मेरे लॅंड को हल्के से सहलाना शुरू किया फिर मैं खुदाई को और गहराई मे ले गया और उसने भी मेरे लॅंड को तोड़ा मसलना शुरू किया मैं बीच बीच मे उसके भज्नासे को अपने अंगूठे से छेड़ देता था और वो भी बीच बीच मे मेरी गोटियों को गुदगुदी कर देती थी, उसके हाथों के कमाल से मैं और उत्तेजित हो रहा था और इस उत्तेजना की वजह से मैं और बेरहमी से उसकी चूत की उंगली करने लगा और मैने दूसरी उंगली भी उसकी चूत मे डाल दी इससे वो जोश मे आकर मेरे लॅंड को कस के पकड़ कर उसकी चमड़ी को उपर नीचे करने लगी और इसी उत्तेजना मे उसके नाख़ून भी मेरे लॅंड पर चुभने लगे और यी लड़ाई आगे बढ़ते बढ़ते अपने चरम पर पहुँची और दोनो योद्धा एक साथ झाड़ गये
हम दोनों का शरीर ढीला पद गया उसने मेरी तरफ करवट ली अपनी आँखे खोली और फिर से वही कातिल मुस्कान बिखरा दी, थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैने हाथ फिर से चादर के नीचे होते हुए पुराने रास्ते ही उसकी चूचियों पर पहुँच गये और हौले हौले ही फिर से उन दूध की घहतियों मे खेलने लगे मेरा लॅंड फिर से हरकत मे आ गया और दूसरे राउंड के लिए तय्यार हो गया इस बार उसने अपने पैर को मेरे सैनिक के सामने भेजा और मेरे लोवर के अंदर डाल के धीरे धीरे सहलाना शुरू किया फिर अपने पैर उंगलियों के बीच रखकर फिर से अपना पसंदीदा खेल शुरू किया अब मेरा लॅंड कड़क हो चुका था पर अब उसे अगले दौर का खेल खेलना था तो मैने छवि को आँखों से छत के कमरे चलने का इशारा किया उसने कोई जवाब नही दिया तो मैने अपने लोवर उपर किया और उठ कर उस कमरे मे आ गया और उसका इंतेज़ार करने लगा करीब पाँच मिनट इंतेज़ार करने तक जब वो नही आई तो मुझे लगा की शायद वो अभी उसके लिए तय्यार नही यही सोचकर मैं मुड़कर वापस जाने को ही था की दरवाज़ा खुला सामने छवि थी और थी उसकी वो कातिल मुस्कान
वो मुड़कर दरवाज़े की कुण्डी बंद करने लगी तभी मैने जाकर उसे पीछे से ही दबोच लिया और उसके चूचों को पूरी ताक़त से कुर्ते के उपर से ही दबाने लगा मेरा लॅंड उसके नितंबों की दरार मे घुसने की नापाक कोशिश कर रहा था और मैने उसकी गर्दन पे हल्के से चूमा और फिर कान के पीछे चूमा और उसके बाद उसकी गर्दन पे अपने होठों से चुंबनों की बरसात कर दी, वो मूडी मेरी आँखों मे देखा हल्के से मुस्कराई और फिर अपने गुलाबी होठों को मेरे होठों पे रख दिया हम दोनो एक दूसरे से लिपटकर किस करने लगे मैने अपनी ज़बान उसके मुख की गहराइयों मे अंदर डाल दी और उसकी ज़ुबान भी मेरा होठों के भीतर आ गयी मैने पाँच मिनट तक उसके गुलाबी होठों का अमृत पिया इस बीच मेरे हाथ उसके शरीर के उतार चढ़ावों मे बेतहाशा सैर करते रहे कभी उसकी पीठ पर और कभी उसके नितंबों पे, फिर उसके पेट को सहलाते हुए उसका कुर्ता उपर किया और उस पर्दे को उस खूबसूरत जिस्म से रुसवा कर दिया अब वो अप्सरा मेरे सामने सिर्फ़ अपनी सलवार में थी उसके स्तन क्या खूबसूरत लग रहे थे वो शर्म के मारे अपने छोटे छोटे हाथों से उन पर्वतों को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी मैं उसकी तरफ बढ़ा और उसको बिस्तर पर लिटा कर उसकी चूचियों पर टूट पड़ा, मैने दोनो हाथों मे एक-एक चूची पकड़ कर पहले कसकर दबाया और फिर बाएँ निप्पल को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगा और बीच बीच मे दाँत से काट लेता था जिससे उसकी सिसकारी निकल जाती थी और दाएँ निप्पल को अपनी उंगलियों और अंगूठे से नोचने लगा
उसके शरीर मे करंट दौड़ गया उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरे सिर को अपनी चूचियों पे दबाना शुरू कर दिया और अपने दोनो पैरों से मुझे जाकड़ लिया फिर मैने दाएँ स्तन को चूसना और बाएँ को मसलना शुरू किया ये सिलसिला कुछ 15 मिनट तक चला उसके गोरे स्तन सुर्ख लाल हो गये और उसके स्तनों पर मेरे दाँतों के निशान बन गये थे, इसी बीच मैने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और और मेरी छाती को चूमने लगी, अब मैने उसका सलवार उतार कर उस संगमरमर के जिस्म से अलग किया वो अब सिर्फ़ पेंटी मे थी मैने उसकी जांघों को चूमना शुरू किया और उपर बढ़ते हुए उसकी पेंटी पे हाथ रखा तो महसूस किया की उसकी पेंटी उसके रस से लबालब भीग चुकी थी अब मैने उसकी पेंटी को नीचे खिसकाते हुए उतार दिया उसने भी अपने कूल्हे उठा कर मेरी मदद की
मैने पहली बार चूत को इतने करीब से देखा था उसमे से एक उत्तेजक सी महक आ रही थी जिसकी वजह से मई अनायास ही उसकी तरफ खिचा चला गया और जीभ डालकर कर उसके काम रस को उसकी चूत से चाटने लगा इसकी वजह से छवि मदमस्त हो उठी और उस का शरीर हल्का सा काँप गया मैं अपनी ज़बान और गहराइयों तक ले जा कर उसके कसैले मादक चूत रस का पॅयन कर रहा था और और वो इससे मस्त हो कर सिसकारियाँ ले रही थी थोड़ी देर बाद उसका शरीर अकड़ गया और वो मेरे मुँह पर ही झाड़ गयी मैने भी पूरी मस्ती से उसका कामरस पिया, अब मैने अपने सारे कपड़े उतारकर फेंक दिए और उसके उपर आकर किस करने लगा और उसके चूचे हाथों से मसालने लगा, वो भी मुझे मेरे कमर से पकड़कर अपनी ओर खींचने लगी, मैं समझ गया वो अब तय्यार है, मैने अपना लॅंड उसकी चूत की दरार पर रखा और उस पर हल्का सा भर दिया तो उसका सिर अंदर समा गया,
अब मैने थोड़ा सा धक्का दिया तो लॅंड करीब 2 इंच से ज़्यादा अंदर चला गया मैने, अगला धक्का मैने पूरी ताक़त से दिया तो लॅंड लगभग पूरा ही अंदर चला गया वो दर्द से कराह उठी, मैने उसको किस करना जारी रखा ताकि उसकी चीख ना निकल जाए उसके आँखों से आसून निकल आए, मैं थोड़ी देर के लिए स्थिर हो कर उसे होठों पर किस करता रहा थोड़ी देर बाद उसने अपनी कमर हिलाकर इशारा किया की वो तय्यार है मैने धीरे धीरे धक्के देने शुरू किए वो भी कूल्हे उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी फिर मैने धक्के तेज कर दिए, करीब 10 मिनट के बाद वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे लॅंड की सवारी करने लगी, 15 मिनट इस पोज़ीशन मे चदाई करने के बाद हम दोनो साथ ही झॅड गये वो मेरे उपर ही निढाल लेट गयी और हम दोनो एक दूसरे के आगोश मे लिपट कर पड़े रहे उसने मेरे कान के पास आकर धीरे से कहा ‘आइ लव यू अमित’ मैने भी उसके माथे पे चूमते हुए कहा ‘आइ लव यू टू छवि’ और हम दोनो कुछ देर के लिए एक दूसरे मे ही समा गये, 20 मिनट इसी हालत मे पड़े रहने के बाद हम दोनो उठे कपड़े पहने मैने समय देखा रात के 3 बाज रहे थे.
पहले वो बाहर गयी फिर उसके थोड़ी देर बाद मैं बाहर गया, हम दोनो अपने अपने बिस्तरों मे एक दूसरे की तरफ़ करवट लेकर एक दूसरे की आँखों मे देखते हुए कब सो गये पता ही नही चला, अगले दिन से छवि की मुस्कान और कातिल हो गयी और हमारी शैतानियाँ बस अकेले होने का मौका ढूँढने लगी, उसके बाद हमारे बीच कई बार सेक्स कई बार हुआ पर उस रात की अंतर्वासना ने उस छत को और उस रात को हमेशा के लिए यादगार बना दिया.
– Amit Singh ([email protected])
This story उस रात छत पर appeared first on new sex story dot com