चलती कार में मेरी मस्त चुदाई : भाग-२

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दोस्तों,
देवर और भाभी कार में ही सेक्स करने लगे तो मेरा उपरी हिस्सा पूर्णतः नग्न था साथ ही कमर से लिपटा साड़ी और पेटीकोट सिर्फ नाम का था तो मुझे अब चुदवाने का जी कर रहा था लेकिन विवेक मुझे अपनी जांघों पर बिठाया तो मैं उसके कंधे में बाहों का हार डाले उसके ओंठ चूमने लगी और वो मेरे चूची को पकड़ दबाने लगा फिर मुंह में लिए चूसने लगा तो मैं उसे अपनी छाती से लगाए चूची चुसवा रही थी और उसका टाईट लंड मेरी आंखों के सामने था तो अब मेरे मुंह से आहें निकलने लगी ” उह आह हुआ अब चूची छोड़ चोद मुझे
( मेरी चूची मुंह से निकाल ) धीरे बोलिए भाभी कहीं ड्राइवर सुन लिया ना तो समझो दोनों की खेर नहीं ” और मैं उसके जांघ पर बैठी हुई अपने साड़ी और पेटीकोट भी निकाल दी तो विवेक भी नग्न था और अब वो मुझे सीट पर सुला दिया तो मेरी एक पैर सीट के उपरी हिस्से पर था तो दूसरा सीट से नीचे लटक रहा था, मेरी फैली हुई जांघों के बीच हाथ लगाए चूत सहलाने लगा फिर वो सीट पर ही घुटनों के बल होकर मेरी चूत से लंड सटाया, आहिस्ते से सुपाड़ा सहित थोड़ा लंड घुसाए अब मेरे एक बूब्स पकड़ा और जोर का धक्का दे मारा, मेरी गर्म चूत में विवेक का लंड तेजी से चोदता हुआ मजा दे रहा था तो मैं किसी भारतीय अवला नारी की तरह टांगे फैलाकर चुदवा रही थी वैसे भी जगह की कमी थी कि उसे मैं दूसरे आसन में चुदाई को बोल सकूं तो वो गपागप लंड पेलता हुआ चोदे जा रहा था और मेरी चूची दबा दबा कर गर्म कर रहा था। मैं बेशरम औरत की तरह जांघें फैलाए चुदाने का मजा लेते हुए सिसकने लगी ” उह उं ओह फ्फक फ़्क चोद तेजी से आह इस स्टाइल में मजा नहीं आ रहा है डियर जरा रुक ” तो मेरा देवर लंड को चूत से निकालकर मेरे हरकत को देखने लगा, वो सीट पर बैठा हुआ था तो दोनों पैर सीट से नीचे थे तो दीपा नग्न हाल में ही चलती कार में उसके गोद में आ गई, अब उसके कन्धों पर हाथ रख चूतड को उसके लंड के उपर की तो विवेक मेरे चेहरा को चूमता हुआ बोला ” सही में तुम एक नंबर की चुदासी औरत हो ” फिर वो मेरे कमर में हाथ डाला तो मैं हाथ नीचे कर उसके मूसल लंड को पकड़ चूत में घुसाने लगी तो आधा लंड आराम से चूत में चला गया और अब देवर के कंधे पर हाथ रख चूतड का दबाव उसके लंड पर देते हुए लंड हजम करने लगी और मेरी फैली चूत में थोड़ा लंड घुसना शेष था कि वो नीचे से एक धक्का दिया फिर चोदने लगा। दीपा अपने देवर के गोद में टांग फैलाई बैठी हुई चूतड को उछालने लगी तो विवेक नीचे से चोदता हुआ मेरे चूत की हालत खराब करने की कोशिश में था, इधर मैं उसके लंड पर बैठकर चुदवाने में मस्त थी तो दूसरी ओर मेरी मोबाइल बजने लगी और मैं हाथ बढ़ाकर पर्स से मोबाईल निकाल देखी तो नमन का कॉल था, चुद्वाते हुए हांफने लगी तो विवेक दे दनादन चोदता हुआ मेरी चूत को मस्त कर रहा था और वो पल भर के लिए रुका तो मैं कॉल रिसीव की ” हां बोलिए
( वो ) तो इटावा पहुंच गई
( मैं ) अभी तो गाउं से निकले ४०-४५ मिनट ही हुए हैं ठीक है पहुंचकर कॉल करती हूं ” और मैं अब चूतड उछालना शुरू की तो विवेक मेरी पीठ पर हाथ दिए मुझे चोदे जा रहा था तो सही में पता भी नहीं था कि फिलहाल दोनों कहां पहुंचे हैं और चुदाई के मार्ग में फिर से अवरोध पैदा हुआ जब विवेक का मोबाईल बजने लगा तो वो मुझे गोद में लिए स्थिर हुआ ” ओह डैड का कॉल है
( विवेक ) जी क्या हुआ
………………..
( विवेक ) आप लोग चाय पी लीजिए मेरा मुड़ नहीं है ” और फिर देवर मुझे चोदने लगा तो मेरा गोल गद्देदार गान्ड उसकी गोद में थी साथ ही मैं उससे लिपटे चुदाने में लीन थे, आश्चर्य हो रहा था कि मेरी चूत रस क्यों नहीं छोड़ रही है तो अब मैं दुबारा विवेक के गोद में बैठे चूतड उछाल उछालकर चुदाने लगी और पल भर बाद मेरी चूत रसीली हो गई तो विवेक अब मुझे गोद से हटाया फिर मैं सीट पर लेटी हुई टांगे फैलाकर चूत सहलाने लगी तो विवेक मेरी चूतड के नीचे हाथ डाले थोड़ा उपर किया फिर जीभ से चूत को चाटने लगा और मैं अपनी उंगली की मदद से चूत को पूरी तरह से फैलाई चटवाने लगी, विवेक कुछ देर बाद मेरी जांघों के बीच लंड पकड़े बैठा और चूत में लंड पेलकर चोदने लगा, थोड़ी कठिनाई हो रही थी खासकर जब कार सड़क के गड्ढे में उतर जाती और मैं अब कामग्नी में जलती हुई चुदवा रही थी तो विवेक मेरे चूची को पकड़ दबाने लगे और दोनों अब चुदाई के अंत पर थे। विवेक मुझसे उम्र में साल दो साल छोटा था तो अविवाहित जीवन का मजा लेता हुआ नौकरी की तलाश में था और मैं एक चूदक्कड भाभी की तरह देवर से चुदवा चुदवाकर ढीली पड़ गई ” अब बस करो विवेक मेरी चूत में रस गिरा दो मुझे अंदर जलन हो रही है
( विवेक ८-१० धक्का दिया और बोला ) अब पी लीजिए मेरे लंड का रस ” उसके लंड से वीर्य स्खलित होकर चूत को सराबोर कर दिया तो मैं अब मूतने और फ्रेश होने के मूड के थी, फिर किसी तरह रुमाल से चूत को साफ की और पेटीकोट, ब्रा, ब्लाऊज पहन साड़ी पहन ली फिर विवेक भी अपना कपड़ा पहन लिया और कार को इटावा के बाहरी इलाके में ही रुकवा दिया। मैं विवेक के साथ उतरी फिर कोई सुनसान जगह खोजने लगी तो एक लाइन होटल के पीछे की ओर जाकर बैठे मूतने लगी तो साथ में पानी की बोतल से चूत को साफ की, फिर हम लोग इटावा पहुंचे तो आज रात आराम से सोने की इच्छा थी।

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