दीपा की हसीन रातें : भाग ३

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फ्रेंड्स
मैं दीपा, अपने पति के जूनियर निखिल के साथ संभोग कर ली फिर बाबू और विवेक पार्क से घूम कर आए तो मैं सोची की खाने का ऑर्डर ही कर दूं ताकि थकावट से बच सकूं तो निखिल गेस्ट रूम में आराम करता रहा फिर मैं बाबू को लेकर डाइनिंग हॉल में बैठी थी, वो टी वी पर किड्स शो देख रहा था तो मेरे पति और निखिल रूम में ड्रिंक्स ले रहे थे और फिर मैं एक बार रूम में झांकी तो मुझे देख निखिल पूछा ” क्यों भाभी ड्रिंक्स लेंगी
( मैं हंस दी ) जरूर एक पटियाला पैक बनाइए और आप बाहर आइए ” तो विवेक डाइनिंग हॉल आ गया और मैं रूम में घुसी फिर ग्लास लिए ड्रिंक्स लेने लगी, बेड पर बैठी हुई थी तो निखिल मेरे सीने पर से पल्लू हटाया और मेरे भोंपू को बजाने लगा तो मैं व्हिस्की पीते हुए बोली ” रात को आज तुझ्से ऐनल सेक्स करवाऊंगी
( वो मेरे गाल चूम लिया ) हां भाभी वैसे भी कल तो छुट्टी ही है ” और मैं ड्रिंक्स खतम कर लेट गई, मेरे गाल चूमते हुए चूची को दबाने लगा और एक हाथ से साड़ी सहित पेटीकोट को कमर तक कर रहा था तो मैं बोली ” एक डेढ़ घंटे इंतजार करो डियर फिर तो पूरी रात तेरे साथ नंगे ही रहूंगी ” और निखिल मेरे रसीले ओंठ को चूमना शुरु किया तो मैं उसके शॉर्ट्स पर से लन्ड के उभार को पकड़ी फिलहाल तो लन्ड सुस्त था और वो मेरे रसीले ओंठ मुंह में लिए चूसने लगा तो मैं उसके लन्ड को पकड़ दबाने लगी फिर विवेक ने आवाज दिया ” इधर सुनो ” मैं निखिल से अलग होकर डाइनिंग हॉल आई तो बाबू को भूख लगी थी और मैं झट से आलू पराठा बनाई फिर उसे खिलाने लगी तो विवेक खाने का ऑर्डर कर दिया, रात के ०९:३० बजे होंगे तभी मैं बाबू को लेकर बेडरूम आई फिर उसे सुलानें लगी, उसके बगल में लेटी हुई थी और कुछ देर बाद वो सो गया तो मैं उठकर वार्डरोब से एक सेक्सी बेबी डॉल ड्रेस निकाली फिर रूम में ही साड़ी सहित पेटीकोट और ब्लाउज खोलकर उसे पहन ली, मेरे खूबसूरत जिस्म पर ये ड्रेस सिर्फ मेरी चुचियों के कुछ भाग और बुर के हिस्से को ढका था साथ ही मोटी चिकनी जांघों का ऊपरी हिस्सा ढका हुआ था तो मैं एक पेंटी भी पहन ली और थोड़ी देर बाद डोर बेल बजा तो मैं इस ड्रेस में खाना लेने नही जाना चाहती थी, सो विवेक खाना का पैकेट लिया और मैं रूम के अंदर से ही देख रही थी। मैं अब रूम से निकली तो विवेक और निखिल गेस्ट रूम में थे और तीन ड्रिंक्स लेकर मैं नशे में तो थी लेकिन मुझे हमेशा से ही नशे में झूमते हुए गैरों के साथ सेक्स करने की आदत थी तो डाइनिंग हॉल आई फिर सोफा पर बैठ गई, मेरी नजर सीधे उस रूम की ओर गई तो पर्दा हटा हुआ था और दोनों गप्पें मार रहे थे तभी मुझपर निखिल की नजर पड़ी तो मैं इशारे से उसे बोतल लाने को बोली फिर दोनों मेरे पास आ गए और विवेक मुझे देख बोला ” वाह क्या ड्रेस है, ऐसे ड्रेस में क्या दिखेगा बेकार ही पहन ली
( मैं उसके व्यंग पर मुस्कुराई ) ठीक बोले तुम सब कुछ देखते देखते कितनों के सामने मेरी नुमाइश करा दिए ” मेरे दोनो ओर निखिल और विवेक बैठा हुआ था और मेरे गाल चूमते हुए विवेक चूची को पकड़ दबाने लगा तो निखिल मेरे ड्रेस जोकि जांघो के ऊपर तक आ चुकी थी पर हाथ फेरता हुआ जांघ सहलाने लगा ” काश मेरी बीबी इतनी हॉट और सेक्सी होती
( मैं ड्रिंक्स लेने लगी ) हां तो विवेक की तरह वाइफ स्वैपिंग में उसे शामिल करते
( विवेक मेरे रसीले ओंठ को चूमने लगा तो निखिल मेरे जांघ सहला रहा था ) डाली तू तो पहले दिन से ही गैरों के लिए तड़पती रही ” और तीनों ड्रिंक्स लिए फिर मेरे ड्रेस को निखिल जिस्म से निकाल दिया तो मैं उसके शॉर्ट्स उतारकर उसके अर्ध रूप से टाईट लन्ड को पकड़ सहलाने लगी, तीनों अब नंगे हुए तो मुझे सिगरेट पीने की इच्छा हुई और मैं नंगे ही बालकनी चली गई जोकि फ्लैट के पिछले हिस्से में खुलता है तो कोई किसी को बालवोनी में देख भी नहीं सकता और सिगरेट फूंकते हुए ठंडी हवा का आनंद ले रही थी की निखिल वहां पहुंच गया और मुझे पीछे से दबोच कर मेरे गाल चूमने लगा ” यहीं पर बेड लगाता हूं बेबी फिर बहुत मजा आएगा
( मैं उसके हाथ का एहसास चूची पर पा रही थी ) उहूंं यहां नहीं रूम में, अब दोनों से एक ही साथ चुदाना है ” मैं सिगरेट पीकर निखिल के साथ अंदर आई फिर सोफा पर बैठ गई तो निखिल मेरे सामने बैठा और मैं दोनों पैर सोफा पर रख जांघें फैलाई चूत चटवाने को बेताब थी तो विवेक मेरे चेहरे को चूमना शुरु किया और उसका हाथ मेरे बूब्स को दबाए जा रहा था तो निखिल मेरी बुर पर थोड़ी सी व्हिस्की गिराया और जीभ से कुत्ते की तरह चाटने लगा, मेरी बुर के गदेदार फांक साथ ही मस्त दरार तो गुदाज अंग गुलाबी यकीनन कोई भी उसे चाटे बिना रह नहीं सकता था और अब निखिल मेरी बुर के ऊपरी हिस्से को चूमने लगा तो पति मेरे चेहरे को अपनी ओर करके ओंठ पर जीभ फेरना शुरु किया और दीपा मुंह खोले उसके जीभ मुंह में लिए चूसने लगी। निखिल मेरी बुर के दरार को उंगलियों से फैलाया फिर जीभ को अंदर डाले चाटने लगा और मैं कामुकता के वश में थी और विवेक का जीभ चूसते हुए एक अलग आनंद की प्राप्ति हो रही थी, तभी विवेक जीभ निकाला फिर अपना चेहरा चूची पर लगाए चूची को मुंह में लिए चूसने लगा तो निखिल बुर चाट रहा था और मेरी योनि से लेकर बदन में हरेक हिस्से में सुरसुरी हो रही थी, आज दोनों का लन्ड एक साथ गांड़ और बुर में लुंगी तो खुजली शांत होगी। मेरी छाती से चिपक कर विवेक स्तनपान कर रहा था तो निखिल बुर को चाटने में लीन था और मैं आहें भर रही थी ” उह आह ओह अब बुर से रस निकलेगा डियर छोड़ दो ” लेकिन निखिल तो मेरी बुर का दीवाना था, फांकों को आपस में सटाए ओंठो के बीच लेकर चूसने लगा तो मैं तड़प उठी लेकिन उसको चूसने दी ” आह अब निकल गया ” तो निखिल मेरे पास बैठ गया और मेरे चेहरे को चूमने लगा जबकि विवेक मेरे सामने नंगा बैठा हुआ था, मैं उसके जीभ का एहसास बुर में पा रही थी तो निखिल मेरे ओंठ चूम रहा था और मैं उसके लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगी तो विवेक किसी बुर चट्टा की तरह लपलप बुर चाटे जा रहा था फिर वो मेरे जांघो को चूमने लगा तो निखिल मेरे दाहिने चूची को मुंह में लिए चूस रहा था, विवेक तो मेरे चिकने जांघ पर ओंठ रख चुम्बन दे रहा था और मैं अब लन्ड चूसने को आतुर थी और विवेक अब मेरे सामने लन्ड पकड़े खड़ा हुआ तो उसका एक पैर सोफा पर था और मैं मुंह खोले आधा लन्ड हजम कर ली फिर उसके कमर को पकड़ चेहरा का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी, निखिल चूची छोड़ा फिर उठकर वाशरूम चला गया तो मैं मुखमैथुन करते हुए मस्त थी अब बुर में हो रही हलचल से परेशान थी और विवेक लन्ड निकाल चला जाता तो निखिल वापस आकर बैठा ” तेरा लन्ड तो मस्त है, बीवी की चूत का कचूमर निकाल देता होगा
( निखिल बोला ) वो सेक्स में रूचि नहीं लेती पता नही किस मिट्टी की बनी है बस पूजा पाठ में लगी रहती है ” और अब निखिल सोफा पर बैठा था तो मैं उसके सामने फर्श पर बैठी फिर उसके लन्ड को पकड़ मुंह में लिए चूसने लगी तो विवेक आकर मेरे पीछे ही फर्श पर बैठा और चूंकि मैं डॉगी स्टाइल में थी इसलिए पिछला हिस्सा ऊपर था और मेरे हब्बी आराम से बुर मे लन्ड घुसाने लगा और मैं निखिल का लन्ड मुंह से निकाली ” अभी थोड़ा इंतजार करो तेरी बीबी आज रण्डी की तरह एक साथ गांड़ और बुर में लन्ड लेगी ” तो विवेक लन्ड निकाल दिया फिर मैं उसको खड़े रहने बोली और घुटनो के बल हुए उसके लन्ड मुंह में भर चूसने लगी, मेरे लंबे जुल्फों को पकड़ वो मुंह को ही चोदने लगा तो मैं कुछ देर बाद लन्ड छोड़कर वाशरूम गई और मूतने के बाद फ्रेश हुई।
नंगे ही गेस्ट रूम में बेड पर थी और दोनों वहां आए तो निखिल लेट गया और मैं टांगे चिहारे उसके लन्ड के ऊपर बैठी तो वो मेरे कमर को कसकर पकड़ लिया, अब मैं लन्ड को बुर में घुसाई फिर चूतड को नीचे करते हुए लन्ड अन्दर लेने लगी तो निखिल नीचे से धक्का देकर चोदना शुरू किया और मैं चूतड उछाल उछाल कर चुदाने लगी जबकि विवेक मेरे चूची को दबाने लगा ” अब साली रण्डी डॉगी स्टाइल में हो जा तब तो तेरी गांड़ में पेलूंगा ” मैं निखिल के बदन पर डॉगी स्टाइल में हुई तो बुर में लन्ड था और विवेक गांड़ के छेद को फैलाकर उसमें थूक डाला और लन्ड घुसाने लगा ” अरे मादर चोद गांड़ में तेल या क्रीम डालकर चोदता ” लेकिन विवेक तो पूरे गति से गांड़ में लन्ड घुसाया फिर निखिल मुझे नीचे से धक्का देकर चोदने लगा तो विवेक मुझे पीछे से धक्का देता हुआ गांड़ मार रहा था, दानापुर में पहली बार दो मर्दों के साथ सेक्स कर रही थी वैसे भी मेरी जैसी चुदक्कड औरत को दो लन्ड से ही मजा आता था और अब तो मैं अपना चूतड हिलाने लगी जिससे दोनों लन्ड बुर और गांड़ के अंदर बाहर हो रहे थे, रसीली बुर में मजा ही मजा था तो गांड़ आग की भट्टी बन चुकी थी और मेरे चूची दबाते हुए विवेक बोला ” आह ओह बुर तो निखिल को दे दी और गांड़ मुझे लेकिन अगले वीकेंड पर पार्टी में मेरे कैप्टन सुजीत को क्या दोगी
( मैं गांड़ की गर्मी से परेशान थी ) डियर पहले गांड़ में तेल डालो नहीं तो मेरी हालत खराब हो जायेगी ” तो विवेक गांड़ से लन्ड निकाला फिर उसमें थूक दिया तो मैं चूतड हिलाते हुए निखिल से चुदवा रही थी और विवेक दुबारा लन्ड को गांड़ में पेलकर चोदने लगा तो मैं नशे में मस्त अपने चूतड को स्प्रिंग की तरह हिलाते हुए दो लन्ड का एक साथ मजा लेने लगी और अब बुर गर्म थी तो गांड़ लहर रहा था फिर भी सेक्स का आनंद लेने में लीन थी और ७-८ मिनट तक गांड़ और बुर साथ साथ चुदाई फिर दोनों बारी बारी से मेरे चूत और गांड़ को वीर्य से भर दिए, में तो रण्डी की तरह दोनों का लन्ड चूस ली फिर वीर्य का स्वाद लेकर बेड पर लेट गई, मेरे दोनों छेद से वीर्य निकलकर चादर को गंदा कर रहा था और फिर मैं उठकर फ्रेश होने गई फिर थकान की वजह से बेड पर लेट गई….

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