देवर के साथ छत पर रोमांस : भाग-२

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दोस्तों,
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि दीपा और विवेक छत पर ही काम क्रिया करने लगे तो मेरे जिस्म बियर से भीगे थे और तभी मैं बेड पर उठकर बैठी तो आसमान में बादल अब गरजने लगे, विवेक और मैं छत पर बने स्टोर रूम चले गए तो साथ में बेड भी हटा लिए, अब स्टोर रूम की एक लकड़ी कि कुर्सी पर मैं बैठी तो विवेक मेरे सामने लंड पकड़े खड़ा था, जिसे मैं अपने मुंह में घुसा कर चूसने लगी तो वो मेरे लंबे जुल्फों को सहला रहा था। विवेक का लंड पूरी तरह से अकड़ चुका था लेकिन बिना मुखमैथुन किए मुझे चुदाने में मजा ही नहीं आता था और उधर तेज बारिश होने लगी तो दीपा देवर के कमर को कसकर पकड़ ली फिर मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी और तेज बारिश में अब भीगते हुए चुदाने का मन था तो दोनों पल भर तक स्टोर रूम में ही रहे फिर मैं विवेक के लंड मुंह से निकाल उठ खड़ी हुई और बोली ” बदन चिपचप कर रहा है, चलो बारिश में दोनों संभोग सुख का आनंद लेते हैं
( वो मेरे कमर में हाथ डाला ) चलिए मेरी सेक्सी भाभी ” फिर दोनों नंगे ही खुले छत पर आ गए तो बारिश काफी तेज गति से हो रही थी और मैं अब विवेक को चूमने लगी, उसकी चौड़ी छाती पर चुम्बन देते हुए नीचे की ओर जा रही थी तो विवेक मेरे पीठ सहलाने लगा, बारिश में बदन भींग रहा था तो जिस्म से चिपचिपाहट दूर होने लगी और अब उसके सामने पैर के बल बैठकर लंड को पकड़ी फिर मुंह में लिए चूसने लगी तो विवेक मेरे बाल पकड़ अब मुंह में ही लंड का धक्का देने लगा ” उह ओह बेबी क्या आज लंड चूसती ही रहोगी या चुदवाने कि भी इच्छा है ” मैं लंड को मुंह से निकाल दी फिर उसके सामने खड़ी हुई तो विवेक मुझे खड़े खड़े चोदने के फिराक में था और मैं झट से मुड़कर उसके सामने अपने गोल गद्देदार गान्ड कर दी। विवेक मेरे गान्ड सहलाने लगा ” सेक्सी चल छत के सीढ़ी घर के दीवार की ओर ” फिर दोनों वहां आए तो मैं उससे लिपटकर उसके मुंह में अपना जीभ घुसा दी, मेरी जीभ चूसता हुआ विवेक मेरे गान्ड को सहलाने लगा तो उसका लंड मेरी नाभि से चुभ रहा था, अब मै दीवार की ओर मुंह किए दोनों हाथ दीवार पर रख दी तो अपने गोल गद्देदार गान्ड को उपर उठाए रखी, मेरे दोनों जांघों को फैलाकर विवेक मेरी गान्ड के सामने खड़ा था तो बस घोड़ी बनकर उससे चुदाने को तैयार थी। मेरे चूत में विवेक का लंड घुसने लगा तो फैली हुई छेद को ६-७ इंच के लंड से क्या दिक्कत और एक ही सांस में पूरा लंड घुसाए विवेक मुझे चोदने लगा तो मै चुपचाप खड़ी होकर चुदवा रही थी और वो साला कुत्ता अब मेरी बुर में लंड का तिरछा धक्का देता हुआ चोदने लगा तो मैं अपने कमर हिलाते हुए ” ओह उह आह तिरछा धक्का देकर क्या उखाड़ लोगो विवेक
( वो गपागप लंड पेलता हुआ मेरे सीने से लटकते चूची को पकड़ दबाने लगा ) उखाड़ने को है क्या भाभी बार भी तो साफ है
( मैं चूतड हिलाते हुए ) चोद चोद साले चूत को घंटे भर लंड चाहिए ” तो विवेक मेरी गीली चूत में लंड पेलता हुआ चूची मसलने लगा और मैं खड़े खड़े अपनी गान्ड हिलाते हुए चुदवा रही थी, दोनों बारिश में नग्न होकर चुदाई का आनंद ले रहे थे तो विवेक अब धक्का मारना छोड़ दिया और मेरी कमर पकड़े रहा जबकि मैं खुद चूतड को हिलाते हुए चुदवा रही थी, मेरी मुलायम चूची को मसलने लगा और अब मैं अपने कमर स्थिर कर बोली ” अब तुम चोदो विवेक ” फिर वो मेरे चूत में तेजी से चोदने लगा तो मैं दोनों जांघें फैलाए चुदाने में मस्त थे, विवेक मेरे कमर को कसकर पकड़े दे दनादन चोदे जा रहा था तो मेरी बुर आग की भट्टी हो चुकी थी साथ ही तन की आग चरम पर थी और मैं ” ओह उह चोद चोद तेजी से विवेक आह ” तो विवेक चोदता हुआ हांफने लगा और मेरी चूत फिर से रज धार छोड़ने पर थी तो मैं अपने चूतड को तेजी से हिलाते हुए चुदवाने में मस्त थी। विवेक मुझे ६-७ मिनट से चोद चोद कर बेहाल कर चुका था और फिर मैं चूत की गर्मी से परेशान हुए चिंखने लगी ” ओह विवेक प्लीज़ अब तो रहम करो अपना वीर्य गिराओ कुत्ते ” तो उसने ८-१० जोर का धक्का दिया फिर उसके लंड से वीर्य की पिचकारी निकल पड़ी और दीपा की चूत रस से सराबोर हो गई, कुछ देर बाद बुर धोकर छत पर से नंगे ही नीचे आईं और रूम जाकर पहले तो वाशरूम में घुस स्नान की, कपड़ा पहन खाना खाई फिर सो गई.

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