देहाती नौकर और छोटी मालकिन

Posted on

हैलो फ्रेंड्स,
दीपा जोकि अपने ससुराल से इटावा आ चुकी है, अपने ससुर और सासू जी की सेवा में लग गई तो घर में उन दोनों के अलावा मेरे देवर जी विवेक, मैं दीपा, नौकर रामू और उसकी बीबी थी। मैं अपने पति को याद करते हुए कुछ वक़्त किचन में तो कुछ वक़्त टी वी देखने में बिताने लगी लेकिन रात का वक़्त काटने को दौड़ता था मानो तन में ऐसी आग लगी हो की इटावा के किसी चौराहे पर टांगे फैलाई लेट जाऊं और राहगीर से चुदवा लूं लेकिन इतने बुरे दिन मेरे नहीं थे तो अगले सुबह मैं चाय सबको देकर खुद चाय के प्याला लिए बागान में घूमने चली गई तो वहां रामू फूल के पौधों को पानी दे रहा था, रामू मुश्किल से ३९-४० साल का होगा तो काला रंग उसपर से हट्टा कट्टा साथ ही चौड़ी छाती तो वो लूंगी पहने घांस पर पैर के बल बैठे पोधो को पानी से सींच रहा था कि मैं उससे थोड़ी दूरी पर खड़ी थी और मेरा ध्यान साले की लूंगी पर थी, उसका बड़ा बड़ा अंडकोष लूंगी में झूलता हुआ नजर आ रहा था जैसा की आकार दिख रहा था, देहाती मर्दों का लंड वैसे भी शहरी लोगो से लम्बा और मोटा होराजसी लेकिन क्यों ये नहीं पता और फिर मैं उसकी ओर गई ” क्यों रामू क्या हो रहा है
( वो पीछे मुड़कर देखा ) वो पेड़ पौधे को पानी दे रहा हूं ” तो अब मैं उसके लंड देखने के फिराक में थी और वो उठकर ज्योंहि खड़ा हुआ साले की लूंगी की गांठ जोकि ढीली हो चुकी थी, खुलकर जमीन पर आ गई और वो हड़बड़ा कर लूंगी उठाने को झुका फिर लूंगी को कमर से बांधने लगा और इसी क्रम में उसका लंड मुझे दिखा लेकिन वो शर्मिंदगी महसूस कर रहा था। रामू वहां से जाने लगा तो मैं बोली ” इधर सुनो
( वो मेरे पास आया ) जी मालकिन
( मैं कनखिया कर उसके लंड की ओर देखी ) शाम को मार्केट जाकर अपने लिए जांघिया खरीद लीजिएगा, पैसा मैं डे दूंगी
( वो मेरे मुंह से ऐसी बात सुनकर असमंजस में पड़ गया ) ठीक है लेकिन मेरे पास कच्छा है
( मैं मुस्कुराने लगी ) अच्छा है
( वो सकपका गया ) क्या मैडम
( मैं ) ओह मतलब की कच्छा है तो फिर मेरे पैसे बचेंगे यही ” लेकिन उसे क्या पता कि उसका लंड अच्छा है ऐसा मैं बोली थी। मैं दिन में खाना बनाई फिर स्नान करके नाश्ता की तो सोच रही थी कि शाम को किसी बहाने रामू को मार्केट ले जाऊं फिर उसके साथ कुछ वक़्त बिताऊं लेकिन ऐसा करने से मेरा असली काम नहीं होता तो दोपहर के वक्त जब देवर जी घर में नहीं थे और सासू और और ससुरजी खाना खाकर आराम कर रहे थे तभी मैं उठी फिर अपने रूम के पिछले दरवाजे से बागान कि ओर निकल गई, मैं पिंक कलर की साड़ी साथ ही ब्लाऊज और पेटीकोट पहन रखी थी तो बागान कि ओर निकलते ही मुझे लगा कि कोई उधर नहीं है लेकिन उसके रहने के लिए एक रूम का घर उधर ही बना हुआ था तो उसकी बीबी अगल बगल के घर में नौकरानी का काम करती थी। दीपा डरते हुए रामू के घर गई तो रूम का दरवाजा खुला था और रामू एक चौंकी पर लेटा हुआ था, उसके पास जाकर खड़ी हुई तो वो हड़बड़ा कर उठ गया ” अरे मालकिन आप, कुछ काम है क्या
( मैं उसके सामने खड़ी थी ) काम तो है लेकिन कैसे बताऊं
( वो उठकर खड़ा हुआ ) जी बस हुकुम कीजिए ” तो मैं उसके लूंगी पर से ही लंड को पकड़ ली और वो असमंजस में पड़ गया तो मैं लूंगी पर से उसके लंड को पकड़ दबाने लगी और वो शरमाते हुए पूछा ” क्या मालकिन इसको देखना है ” मैं सर हिलाकर हामी भरी तो वो लूंगी का गांठ खोल दिया, लूंगी जमीन पर था तो साले का लंड काला कल्लुट्ठा लेकिन लम्बा और मोटा मेरे हाथ में था जिसे पकड़ हिलाने लगी और रामू बोला ” इसका क्या करेंगी मालकिन
( मैं हंसने लगी ) क्या करूंगी देखना फिलहाल तो तेरी बीबी आने पर होगी तो रात को तुम मेरे रूम आना ” और उसके लंड छोड़ उसे अच्छे से तैयार होकर रात को आने बोली, रामू के मूसल लंड से चुदवाने का मजा लेना था तो मुझे मालूम था की देहाती मर्द चोदने में उस्ताद होते हैं।
रात के १०:३० बजे होंगे तो मैं ब्लेक रंग की सेक्सी नाईटी पहन बेड पर करवटें बदल रही थी कि पिछला दरवाजा किसी ने नॉक किया और मैं बेड पर से उठकर दरवाजा खोल दी फिर रामू अंदर आया, उसने दाढ़ी बनवा रखी थी तो देखने में सांवला और कद काठी अच्छी थी लेकिन मुझे तो उसके लंड से मतलब था। दीपा दरवाजा बंद की फिर उसको बेड पर बैठने बोली, रूम में लाल रंग की नाईट बल्ब जल रही थी तो उसके सामने मैं खड़ी हुई फिर एक पैर बेड के किनारे पर रख अपनी नाईटी की डोरी खोल उसे बाहों तक कर दी, रामू मेरे बूब्स से लेकर कमर तक को देखता हुआ प्रसन्न था और मैं उसके हाथ पकड़ अपने तन पर लगाई ” आराम से रामू जो मन हो करीब, अपनी बीबी की चूत चाटते हो ” वो कुछ नहीं बोला और मेरे कमर से पेट तक को चूमने लगा साथ ही मेरे पीठ सहलाते हुए मस्त था तो उसके चुम्बन से मेरे तन में गुदगुदी लगी हुई थी। दीपा टांगे फैलाई खड़ी थी तो रामू मेरे छाती तक को चूमता हुआ बूब्स पकड़ा फिर जोर जोर से मसलने लगा ” ओह आउच जरा धीरे धीरे दबाओ ना ” तो अब मैं बाहों से नाईटी निकाल पूर्णतः नग्न हो गई बस मेरी चूत पर पेंटी थी और पल भर में ही मैं बेड पर लेटी हुई थी तो रामू अपना लूंगी और कुर्ता उतार नंगा हो गया, फिर मेरे चूची को पकड़ दबाने लगा तो मैं कामुकता वश अपनी जांघें आपस में रगड़ते हुए मस्त होने लगी, रामू अब मेरी चूची को पकड़ अपने मूह में लिए चूसने लगा तो मैं उसके बाल पर हाथ फेरते हुए भूल चुकी थी कि घर के नौकर के साथ बेड पर नंगी लेटी हुई सेक्स कर रही हूं…. to be continued.

This content appeared first on new sex story .com

This story देहाती नौकर और छोटी मालकिन appeared first on dirtysextales.com