मेरी तरफ से सभी पाठकों को नमस्कार। कहानी शुरू करने से पहले मैं आप सबको अपना परिचय देना चाहूंगा। मेरा नाम राम मेहता है, और मैं पुणे का रहनेवाला हूं। मेरी उम्र 25 साल है और मैं पुणे की एक नामांकित कंपनी में नौकरी करता हूं।
मैं भी आप सभी की तरह एक आम आदमी हूं। मैंने कभी अपने लण्ड का नाप नही लिया, लेकिन आम भारतीय इंसान के जितना ही मेरा भी है। यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है, और मैं यह कहानी हर्षिता जैन के लिए लिख रहा हूँ। उम्मीद है उन्हें यह कहानी पसंद आएगी।
कहानी शुरू करने से पहले मैं सभी पाठकों को बताना चाहता हूं कि, ना मैं कभी हर्षिता जैन से मिला हूं और ना ही मैंने उनको देखा है। यह कहानी और उसके पात्र सब काल्पनिक है। तो अब अधिक समय न लगाते हुए सीधे कहानी की ओर बढ़ते है।
हर्षिता जैन एक शादीशुदा औरत है, और उसकी उम्र 27 साल की है। उन्हें अब तक कोई संतान नही हुई है। इसमें उनके पती का कोई दोष नही है। हर्षिता और उसका पती दोनों ही काफी खुले विचारों के है, और वो दोनों अपनी जिंदगी को अच्छे से जीना चाहते है। शादी के बाद ही उन दोनोने मिलकर तय किया था कि, बच्चा पैदा करने में कोई जल्दबाजी नही करेंगे। पहले वो दोनों अपने अपने जीवन को हर एक तरीके से जी कर मजे करना चाहते है।
दोनों का जीवन एकदम मस्त चल रहा था, उनकी सेक्स लाइफ भी काफी बेहतर चल रही थी। दोनों को अपनी सेक्स लाइफ को और मजेदार बनाने में रुचि है। कभी वो कोई पॉर्न फ़िल्म देखते हुए संभोग करते थे तो कभी रोल-प्ले का भी सहारा लिया जाता था। हर्षिता को हाल ही में अन्तर्वासना पर कहानियां पढना शुरू किया था।
कहानी पढ़ने के बाद उस रात वह अपने पती से कुछ ज्यादा जोश में आकर चुदाई करती थी। कहानियां पढकर उसके दिमाग में भी अब किसी गैर मर्द से चुदवाने की इच्छा जागने लगी थी। अब आगे की कहानी हर्षिता की जुबानी-
मुझ पर अन्तर्वासना की कहानियां पढने का शौक चढा हुआ था। मुझे पहले से ही लगता था कि, मैं भी किसी कहानी का पात्र बनूं। कुछ दिन कहानियां पढने के बाद मैंने कुछ कहानियों के लेखकों से निवेदन भी किया था कि, मुझे उनकी कहानियों का कोई पात्र बना दे। बहुत से लोगों ने कहा कि, वो कहानी बना देंगे। लेकिन मैंने कभी सोचा नही था कि, सच में कभी मेरी खुद की कहानी पढ़कर लोग उत्तेजित होंगे। यह मेरी एक फंतासी थी। मैं अपने पती के साथ काफी खुश हूं।
मेरे पती का नाम अनिल है, और वो एक स्कूल में शिक्षक है। एक दिन रात में अपने पती के साथ चुदाई करते हुए मैंने उनसे कहा कि, “आपने कभी थ्रीसम के बारे में सोचा है?” इस पर मेरे पती का जो जवाब था, उसे सुनकर मैं हैरान हो गई। अनिल ने कहा, “मजा तो आएगा, लेकिन तीसरा किसके बारे में सोच रही हो कोई मर्द या औरत?”
मैंने बस चुदाई जारी रखते हुए उनके होठों पर अपने होंठ रखकर चूमना शुरू किया। थ्रीसम की बात सुनकर अनिल भी थोड़ा जोश में आकर मेरी जोरदार चुदाई शुरू की। उनके धक्कों की गती काफी तेज हो गई थी। और तभी मैं झड़ने के करीब थी, तो मैंने अनिल को अपनी बाहों में जोर से जकड़ लिया। अनिल ने मेरा हाल जानते हुए जोरों के साथ चुदाई जारी रखी।
कुछ ही देर में चुदाई के बाद हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे। तभी मेरे बालों में हाथ घुमाते हुए अनिल ने मुझसे पूछा, “हर्षिता तुमने बताया नही, तुम थ्रीसम में किसको लाना चाहती हो? कोई मर्द या औरत?”
फिरसे उनके मुंह से यह सुनकर मुझे लगा, अनिल सच में जानना चाहते हैं। तो मैंने उनकी तरफ देखते हुए कह दिया कि, “मैं कुछ दिनों से कामुक कहानियां पढ़ रही हूं। जब मैं कहानी पढती हूं तो मैं उसमें अपने आप को देखती हूं तो और उत्तेजित हो जाती हूं।”
इतना कहकर मैंने पास ही के टेबल से मेरा फोन उठाकर अनिल को एक कहानी पढने के लिए दी। कहानी पढते हुए अनिल फिर से अपने लंड को सहलाने लगे। तो मैंने उनके लन्ड को अपने हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में, उनका लंड तनकर फिर से चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार था। यह देखकर मैंने सोचा की, यही सही मौका है, अनिल को अपनी फंतासी बताने का। तो मैने उठकर खुद अनिल के लंड को अपनी चुत में ले लिया।
और अब अनिल के हाथ से फोन छुड़ाकर उनके दोनों हाथों को मेरे स्तनों पर रखवा दिया। कहानी की वजह के अनिल सच में काफी रोमांचित हो चुके थे, और अपने मर्दाना हाथों से मेरे दोनों स्तनों को मसलकर मजे ले रहे थे। मैंने उनसे कहानी के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा, “सच में यार कहानी पढकर तो मजा आ गया।”
उनके मुंह से यह सुनते ही मैंने नीचे झुककर उनके होठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी। मुझे चुदाई से ज्यादा मजा किसी को गर्म करने में आता है। चूमना या फिर लण्ड चूसना यह सब मुझे चुत चुदाई से भी अधिक मजेदार लगता है। मैं नीचे अपनी कमर हिलाते हुए अनिल के लण्ड को अपनी चुत में अंदर बाहर भी कर रही थी। बीच बीच में अपनी चुत की दीवारों को भींचने से अनिल को और भी मजा आता था। तो मैं हर चुदाई में अनिल को पूरी तरह से मजा देने की कोशिश करती हूं।
अनिल भी मुझे हर तरह का मजा देने से कभी पीछे नही हटते। अनिल को मेरे स्तनों को और चुत को चूसना बहुत पसंद है। थोडी देर तक तो मैं अनिल के ऊपर चढकर खुद कमर हिलाते हुए अपनी चुत चुदवा रही थी। उसके बाद अनिल ने मुझ पर अपनी पकड़ बनाते हुए बिना लण्ड चुत से बाहर निकाले हुए मुझे अपने नीचे ले लिया। अनिल का यही तरीका मुझे मस्त लगता है।
अब अनिल ने मुझे नीचे करके बिना रुके अपने लण्ड को अंदर बाहर किए जा रहे थे। मैंने अब अपने हाथ अनिल की छाती पर घुमाते हुए, अनिल से कहा, “अगर कोई लेखक मेरा नाम लेकर कहानी लिखता है तो मैं सोच रही थी उसको हम अपने साथ लेकर थ्रीसम कर सकते है।”
यह सुनकर अनिल के चेहरे पर एक मुस्कान तो जरूर आ गई लेकिन उन्होंने बिना कुछ बोले, सीधे नीचे झुककर मेरे दांये स्तन को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया। और दूसरे स्तन को अपने हाथ से मसलते हुए घपाघप धक्के लगा रहे थे। मैं अनिल के लण्ड को अपनी चुत के अंदर तक महसूस कर पा रही थी। मैं भी अनिल का पूरा साथ देने की कोशिश कर रही थी, लेकिन काफी देर से चुदाई चालू होने की वजह से मैं झड़ने की कगार पे थी। मैंने अनिल से कहा, “मैं झडने वाली हूं अनिल। जल्दी से चोदो मुझे। आहहहह..”