अपनी कहानियां लेकर आ चुकी हूं। जैसा कि आपको पता हैं मैं पढाई कर रही
हूं, और इन दिनों मैं पढाई के साथ एक पार्ट टाइम जॉब भी कर रही हूं मेरी
जॉब की टाइमिंग शाम 5 से 8 की होती हैं, और यहां मुझे ज्यादा काम भी नही
करना होता है। यहां मैं कम्पनी के अकाउंट को चेक करके डेली की आय व्यय को
अकाउंट में उतारती हूं। यहां मेरे एक बॉस है जो मुझे बेहद पसंद करते है।
मुझे यहां काम में लगने से लेकर अब तक वे सभी कामों में मेरी काफी मदद
करते हैं, और काम से मेरी छुट्टी होने के बाद वे अक्सर मुझे अपने पास
बुला लेते, और मुझसे मेरे घर के बारे में बात करने लगते। छुट्टी के बाद
घर पहुंचने की जल्दी रहने के बावजूद उनका बास होना, और मुझे हर काम में
सहयोग देने की वजह से मैं उनके पास रूककर बात करने के उनके आग्रह को टाल
नहीं पाती।काम के बाद उनके पास रूकने का सिलसिला अब धीरे-धीरे करके और बढने लगा।
लिहाजा आफिस से मेरे छूटने का समय 8 बजे का था, जो अब बढते हुए 10 बजे तक
हो गया था। देर से घर पहुंचने पर एक दिन मेरी मां ने डांट लगाई, व कल से
काम पर न जाने का फरमान सुनाया। तब मैने मां से कही कि आज बास से बात
करके आपको बताती हूं। दूसरे दिन मैं जल्दी ही अपने आफिस पहुंची आज मैने
सलवार सूट न पहनकर स्कर्ट और शार्ट पहनी थी , और यहां अपने काम में न
लगकर सीधा बास के चेंबर में पहुंची। मुझे देखते ही बॉस ने चेंबर में बैठे
दूसरे लोगों का काम जल्दी से पूरा किया, जिनका काम नहीं हुआ उन्हे बाहर
बैठने को कहकर बास ने मुझसे कहा हां रोमा बोलो क्या बात हैं। मैं बॉस के
पास गई और बोली बॉस मुझे यहां से छूटने और घर पहुंचने में रोज रात के 10
बज रहे हैं। इससे मेरे घर वाले काफी नाराज हो रहे हैं और उन्होने मुझसे
यह सर्विस छोडने कहा हैं। सो आज मैने अपना रेजिगनेशन लेटर लिखा हैं और यह
आपको देकर अब भारी मन से यह सर्विस छोड रही हूं।यह सुनते ही मेरे बॉस जिनका नाम वीरेन्द्र मेहता हैं, एकदम चौंक गए और
अपने सामने बिछी कुर्सी पर मुझे बैठने कहा। मैं कुर्सी पर बैठी। वह बोले
इस बारे में तुम्हे क्या कहना हैं ? मैं बोली कुछ बोल नहीं पा रही हूं
इसलिए तो अपना इस्तीफा दी हूं सर। मैने घर वालों से भी कहा हैं कि अभी
कुछ दिन की ही बात हैं फिर ठीक टाइम हो जाएगा, पर मेरी बात भी नहीं मानी
गई। मेरी बात सुनते ही वीरेन्द्र खुशी से उछल पडे और बोले या?तुम भी
इसमें मेरा साथ दोगी ना। मैं बोली बिल्कुल सर। अब वो बोले तुम मुझे सर ना
कहकर सीधे मेरे नाम से बुलाया करो। मैं लिहाज वश बोली जी सर। फिर सर… यह
बोलकर वीरेन्द्र अपनी चेयर से उठकर मेरे पास पहुंच गए। उन्हे आता देख
लिहाजवश मैं भी खडी हुई, पर उन्होने मुझे बैठाए रखने के लिए मेरे कंधे पर
अपना हाथ रखकर कंधा दबाया, इससे मैं पूरी न बैठकर थोडा झुक गई। वीरेन्द्र
बोले अपनी दूसरी बात होती रहेगी,पर पहले तुम सर्विस पर रोज आती रहो इसके
बारे में सोचना हैं, यह बोलकर वीरेन्द्र ने मेरे कंधे से अपना हाथ निचे
कर मेरे बूब्स पर रख दिया। उनका हाथ मेरे बूब्स पर लगते ही मेरे शरीर में
झुरझुरी सी उठी।वीरेन्द्र ने अपना हाथ मेरे बूब्स से हटाए और मेरे बाजू में रखी
कान्फेंस चेयर को मेरे और पास खिंचकर उस पर बैठ गए। मैं उन्हे अपने इतने
करीब बैठे देखकर घबरा रही थी। मेरे चेहरे का रंग भी उडा हुआ था। वे मेरी
यह हालत देख कर बोले क्या हुआ रोमा, तुम आज मेरे साथ बैठकर कैसा रिएक्ट
कर रही हो, तुम्हारी तबियत तो ठीक हैं ना। मैं बोली जी सर आप यहां मेरे
इतने पास बैठे हैं ना इस कारण मैं घबरा गई हूं। वीरेन्द्र ने कहा इसके
अलावा तो और कोई बात नहीं हैं ना। मैं बोली नहीं। तुम मेरे साथ बैठने से
इतना घबरा रही हो जैसे मैं तुम्हारे उपर ही चढ गया हूं। देखो रोमा मेरा
तुमसे अलग ही लगाव हैं, इसलिए तुम्हे बता रहा हूं कि काम्पीटिशन के इस
दौर में तुम्हे बहुत फारवर्ड होना पडेगा। एसे किसी के साथ बैठने से
झिझकीं या हाथ लगने से कांप उठोगी तो आगे कैसे बढोगी। मैं बोली जी…।
वीरेन्द्र ने कहा तुम्हे अब तो मेरे साथ बैठने से कोई परेशानी तो नहीं हो
रही है ना? मैं थोडा नर्वस फील कर रही थी, सो अपने हाथ से शर्ट की उपरी
बटन पर घुमाने लगी। वीरेन्द्र बोले बी फ्रेंक बेबी, डोन्ट नर्वस डाउन। यह
कहते हुए वे बोले अच्छा चलो अब अपन कुछ खुल के बातें करें,जिससे तुम्हारी
झिझक मिटे।
मैने हां में गर्दन हिलाई। वे बोले पहले तुम सैक्स कर चुकी हो या नहीं।
मैं अब तक तीन बार अपनी चूत में लौडा ले चुकी थी, इसलिए अभी इस प्रश्न पर
चुप थी। वीरेन्द्र बोले देखो एकदम सही-सही बोलो। मैं बोली जी हां मैं
सैक्स कर चुकी हूं। वीरेन्द्र पूछे कितनी बार? और किससे? मैं बताई एक बार
एक लडके से। वीरेन्द्र बोले गुड यानि सैक्स को तुमने भी अपने फ्यूचर का
सवाल न बनाकर शरीर की जरूरत के हिसाब से यूस किया ना। मैं अपनी गर्दन
निचे किए बैठी थी। उन्होने मेरे हाथ को पकडा, और बेहद संजीदगी के साथ
बोले क्या मुझे भी तुम्हारे साथ सैक्स करने का मौका मिल सकता हैं? अब मैं
नारी सुलभ शरम का भाव दिखाते हुए अपना सिर झुकाए बैठी रही। वीरेन्द्र के
हाथ मेरे बूब्स के निप्प्ल को सहला रहे थे। बॉस के साथ चुदाई के ख्याल ने
ही मुझे रोमांचित कर दिया था। मैने स्कर्ट शार्ट पहनी थी। वीरेन्द्र का
एक हाथ मेरे निप्प्ल पर थे, दूसरे हाथ से उन्होने मेरे दोनो पैरों को अलग
किया, और मेरी चूत की ओर हाथ बढाया। मुझे अच्छा तो लग रहा था, पर कोई आ न
जाए इस डर से मैने पिछे घूमकर मेन डोर की ओर देखा तो वीरेन्द्र बोले अभी
बस हाथ लगा रहा हूं असली प्यार बाकी हैं। सो मैं पैर फैला दी ताकि वो
मेरी चूत को छू लें।