मैनें उसकी फ्रॉक टटोली, उसने अपनी चड्डी खोली!

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मेरे पास कम्मो का फोन आ गया था, ” सर, आपके कहे अनुसार एक छोटी छोरी भेज रही हूँ. स्कूलगर्ल है, ग्रेड ८ में. ” मुझे तसल्ली हुई. फिर भी फोन पर पूछा – ” कुछ समझाया भी है उसको? सहन कर लेगी मेरे लंड की चोट? ” कम्मो बोली – ” सर, समझा बुझा कर ही भेज रही हूँ, तंदुरस्त है; कुछ नहीं होगा. वैसे मैं और मदालसा दीदी भी आ रहे हैं, संग-साथ. कुछ हुआ भी तो हम सम्हाल लेंगी ” .

कोई आधे घंटे बाद कम्मो, मदालसा और वो छोरी आ गईं. मैंने छोकरी पर नजर दौड़ाई. छोटे फ्रेम की थी. पेटाईट, दो चोटियाँ, एक-टुकड़ा फ्रॉक पहने, छोटी-छोटी टाँगें, मम्मे कम विकसित, जांघें लचीली, चेहरा मासूम, बाहर से शर्मीली भीतर से चटपटी.

मैनें पहले उन तीनों को ड्राइंग रूम में बिठाया. कोको कोला की तीन-चार बोतलें व काले अंगूर मंगवाए. कम्मो उससे बोली – ” गुड़िया, तुम अंकल के पास बैठो ना? ” वह उठी, उसने मुझे नमस्ते किया, फिर शर्माते-सकुचाते मेरे पास बैठ गई.

मैंने उसके सिर के बालों पर हाथ फेरा, फिर हथेली उसके गालों पर फिराई. ठुड्डी उठाई, और उसे चूमने को झुका. वह सहज में ही मेरे पास आ गई, और चिपक गई. बोली – ” अंकल, आप बहुत अच्छे हो. ” तब कम्मो उससे बोली – ” अंकल को पप्पी नहीं दोगी,? तुम्हें कहा था न कि अंकल तुझसे लाड लड़ाएँगे. ” यह सुन उसने पप्पी के लिए मुंह खोला, मैनें भी ओठ से ओठ भिड़ा कर उसकी पप्पी लेनी शुरू कर दी. थोड़ी ही देर में मेरी जीभ उस बालिका की जीभ से भिड़ गई. मैंने एक हाथ उसकी कमर के गिर्द डाल चुम्मा चाटी शुरू कर दी. उसके ओठों का स्वाद अच्छा था. बीच बीच में मैं उसकी पीठ पर भी हाथ फिराने लगा.

” टू लोलीपॉप चाटेगी-चूंसेगी मुन्नी!! ” मैं उससे प्यार से बोला. कम्मो ने कहा, ” हाँ हाँ क्यों नहीं, इसे तो वेसे भी लोलीपॉप पसंद है. ” फिर मदालसा एक लोलीपॉप ले आई. मैंने खुद उस प्यारी बच्ची के मुंह में लोलीपॉप डाला. वह उसे भीतर-बाहर भीतर-बाहर कर चटकारे से चूँसने लगी. वह और मेरे नजदीक खिसकी, और अपनी टांग पर टांग रख कर स्वीट केंडी का चसकारा लेने लगी. इस समय मैं अपना एक हाथ उसके सिर के पीछे ले गया, छुआ और दूसरे हाथ की एक अंगुली उसके मुंह में घुसा दी. लोलीपॉप के साथ वो मेरी अंगुली भी चूँसने लगी.

कम्मो बोली – ” गुडिया, अंकल तुझे अच्छे से प्यार करेंगे ” . तभी मैं खड़ा हो गया, और उसको बाहों में उठा लिया. मैं बस एक निकर व बनियान ही पहने हुआ था और वह सफ़ेद फ्रॉक. खड़े खड़े उसे बाहों में उठा लिया तो उसने अपनी दोनों टाँगे मेरी पीठ पीछे चिपका दी. इस वक्त कम्मो मेरे पास आ गई और उसने इस अवस्था में ही तरकीब से मेरा बनियान खोल दिया. मेरी छाती उघर गई. कम्मो ने उसे कुछ फुसफुसा कर कहा तो वह हल्के-हल्के मेरा वक्षस्थल सहलाने लगी.

मैंने उसे बाँहों से उतार फर्श पर खडा कर दिया. क्या स्वीट चीज़ थी वो. अब मैं उसकी पीठ सहलाने लगा. पीठ सहलाते-सहलाते हुए दूसरे हाथ को उसकी कम विकसित छातियों पर ले गया, और सहलाते हुए उसके कच्चे मम्मे दबाने लगा. इस वक्त कम्मो फिर आ गई, और उस छोटी छोरी का हाथ पकड़ उसे मेरे निकर की ज़िप पर रख दिया, और गुडिया को कहा – ” अंकल का ” ये ” सहला बेटी, अंकल को अच्छा लगेगा ” .

जब मैं गुड्डी की छातियाँ दबा रहा था, और बाहर से उसकी नन्ही-छोटी चूंची को कस रहा था तब उसके मुंह से मधुर सिसकारी निकली. मैं समझ गया कि छोकरी गरम हो रही है. इस लिए मैं गुड्डी का हाथ निकर के उस भाग पर ले गया जिसके भीतर मेरा लंड था, और वह उसे ऊपर से सहला रही थी तो मैंने उसके हाथ पर हाथ रख इशारा किया कि वो थोडा तेज सहलाए.

मैं अब फ्रॉक के ऊपर से उसकी प्यारी, छोटी-सी गांड सहलाने लगा.

तभी मदालसा आगे आई और उस गुडिया से बोली – ” शर्म ना करना, बिटिया, तुझे बड़ा मज़ा आएगा ” वह ऊं ऊं करने लगी. मदालसा दुबारा बोली – ” ऊं ऊं क्या कर रही हो, खोल शर्म!! ” .

मैंने अब अपने निकर की ज़िप खोल दी, और मुन्नी का हाथ जो वहां था उसे जोर से दबाया. ” आह ” वह धीमे से बोली.

अब एक हाथ से मैं उस बच्ची की फ्रॉक के ऊपर से गांड सहला रहा था, तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी फ्रॉक के भीतर डाल उसकी नंगी जांघ पर हाथ फिराने लगा. उसने भीतर चड्डी ( panty ) पहन रखी थी. मेरा हाथ उसकी पेंटी पर भी फिरा, आगे और पीछे. वह मधुरता से फुसफुसाई – ” अंकल? ” मै बोला – ” हाँ, बेटी!! ” वह दुबारा बोली, ” अंकल चहिए ये?? ” , मैं कुछ बोला नहीं पर मैं उसकी चड्डी पर उस जगह अंगुल गडाने लगा, जहां उसकी चूत, बच्ची की चूत व गांड का छेद था, आह ” . तभी मैंने देखा कि उस बच्ची ने खुद ही अपनी चड्डी सरका कर नीचे टांगों तक ले आई. कम्मो ने उसे टांगों से बाहर किया और गुड़िया से बोली – ” शाबाश!!!!!! ”

जब खुद ही उसने अपनी चड्डी खोल दी तो मैंने भी बलपूर्वक उसकी फ्रॉक को खोल नन्ही गुडिया को नंगी कर दिया. वो दोनों हाथ अपनी चूत के त्रिकोण पर ले आई और उसे ढक दिया पर उसकी लगभग सपाट छातियाँ नंगी थी और मैं उसके कच्चे उभारों को वासना से देख रहा था.

कम्मो फिर आई, और उस मुन्नी से बोली, ” चल, एक काम कर ” वह बोली – ” क्या कम मौसी? ” जवाब मिला, ” नखरा मत कर, अंकल के निकर में हाथ डाल और देख अन्दर क्या है? ” कम्मो ने बलात गुडिया का हाथ मेरे निकर में डाल दिया, और मैं चौंक गया जब भीतर छिपे लंड को गुडिया ने अपनी हथेली में भर लिया. उस वक्त मेरा लंड फनफना गया.

अब मदालसा आगे बढ़ी और उसने मेरा निकर खोल डाला और मुझे नंगा कर दिया. अब हम दोनों नंग धडंग थे – मैं और वह छोटी छोरी. क्या चीज थी वो.

” आगे बढ़ मुन्नी, और अंकल की यह चीज देख, तुझे मज़ा देने की चीज है ये ” , मदालसा ने कहा, और यह कहने के साथ वह अपने वस्त्र उतारने लगी. व्ह मुन्नी के सामने ही धुर नंगी हो गई.

अब तो कम्मो भी आ गई और उसने भी मुन्नी को ललकारा – ” मुन्नी, आगे बढ़ और ” यह ” कर!!!!!!!!!!!!! ” कम्मो ने भी अपने वस्त्र निकाल फेंके, और नंगी हो गई.

मुन्नी घूर-घूर कर मेरा लंड देख रही थी और मैं बेशर्मी से उसे दिखा रहा था. ” यह कर, मुन्नी ” जोर से दोनों नंगी औरतें चिल्लाई और दोनों ने एक साथ मेरे लंड को चूंसना शुरू कर दिया. मैं खड़े-खड़े दोनों को लंड चुन्सवा रहा था. मुन्नी धीमे-धीमे मेरे नजदीक आई और देखने लगी. मैं बेशर्मी से सामने से मुन्नी की चूत में और पीछे से उसकी गांड में अंगुल करने लगा. ओह, क्या बात है!

दोनों स्त्रियाँ जब मेरा लंड चूंस फारिग हो गयी तो मुन्नी आगे लपकी और खुद ही बोली – ” अंकल, मैं भी आपका लंड चूँसुंगी ” . ” तो चूंस ना बेटी, मेरा लौड़ा!!! ” मुन्नी अब खुलने लगी और बोली – ” अंकल, आपका लंड तो बहुत लम्बा मोटा है, पर अंकल.. ” उसने मेरा लंड मुंह में भर लिया, फिर निकाल कर बोली – ” अंकल, आपका लंड बहुत मजेदार है ” . मै बोला – ” तेरे लिए ही है, बेटी, मेरी गुडिया, मुन्नी, बुलबुल!!!!!!! ” ” हाँ, अंकल, ” वह बोली. मैं पीछे से मुन्नी की गांड के गोलकों को भरपूर दबा रहा था.

जब पेट भर लंड उसे चुन्सा चुका तब… तब कम्मो और मदालसा दोनों ने कहा, ” ऐसा करते हैं… मुन्नी को तख़्त पर सुला देते हैं, फिर आप उसकी दोनों टांगों के बीच लग… ” चोदना ” मैंने कहा – ” ठहरो, पहले मैं उसकी फुद्दी का, उसकी भोसड़ी का जायजा लूँगा ” तुम दोनों उसकी टांगें ऊपर उठाये रखना! ” मुनी कड़ी खडी सुन रही थी, वो तख़्त पर जाकर लेट गई, और खुद ही बोली – ” अंकल, चढ़ जाओ मेरे पर ” . मगर उन दोनों स्त्रियों ने उसकी दोनों टांगून कू ऊपर उठाया, और मैंने उसकी चूत में अंगुल कर-कर जायजा लिया. फिर लंड घुसेड़ा. ” आह आह, आह अंकल, ओह हाँ ” वह बड़बड़ाई. मैं धक्के मारता रहा, और नन्ही बच्ची को चोद डाला.

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