रात के अंधेरे में हुई भूल : भाग २

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पिछले भाग के आगे… मैं तो गिरीश जी का लन्ड चूसकर मस्त हो गई थी और वो मेरी चूचियों को चूसने के बाद चूत को भी चाटे, जिसकी उम्मीद मुझे नही थी प्रायः मर्द अपने लन्ड औरतों से चुसवाते है लेकिन उनकी योनि पर मुंह लगाना उन्हें पसंद नही होता, भले ही बुर को क्लीन शेव रखें और साफ सुथरा लेकिन ये रिश्ते के ससुर जी तो मेरी चूत चाट कर मुझे प्रसन्न कर दिए। मैं वाशरूम से निकली तो गिरीश मेरे नंगे जिस्म को देख ओंठ पर जीभ फेर रहे थे और मैं नजरें झुकाए बेड पर आकर लेटी और बदन पर चादर ओढ़ ली तो उनका मुसल लन्ड देख थोड़ी घबराहट हुई फिर भी ७-८ साल का चुदाई अनुभव काफी था इनके साथ मस्त होने के लिए, गिरीश उठकर बैठा फिर मेरे बदन पर से चादर हटाया और जांघो को फैलाकर बुर सहलाने लगा ” बहु रानी सिर्फ अपने पति के साथ ही यौन संबंध बनाती हो या
( मैं शर्म के मारे चेहरे को हथेली से ढक ली ) जब ससुर जी के सामने नग्न हो सकती हूं तो फिर आप अंदाज लगा लीजिए ” और गिरीश मेरे जांघो के बीच लन्ड पकड़े बैठा तो मैं लेटी रही, गिरीश का सुपाड़ा अन्दर गया फिर लन्ड अंदर जा रहा था तो मैं जानती थी की ससुर जी का लन्ड मुझे काफी मजा देगा, २/३ लन्ड बुर में घुसते ही मेरा हाल खराब होने लगा कारण की बुर में तीन दिनों से लन्ड नहीं घुसा था और ये लोचदार अंग फैलती और सिकुड़ती है वो भी इसके इस्तेमाल पर तो गिरीश मेरे कमर को पकड़े अब धक्का देते हुए चोदने लगा तो मैं मजे करने लगी, तभी गिरीश बोला ” क्यों दीपा लन्ड कैसा लगा
( मैं चेहरा फेरते हुए बोली ) बिल्कुल गधे का लन्ड इतना मोटा और लंबा भी ” तो गिरीश धक्का देते हुए चोदने लगा साथ ही मेरे बूब्स पकड़े दबा रहा था और मुझे अब चुदवाने में मजा आ रहा था, मेरे मुंह से आवाजें ” आह उह इस सी उई जरा आराम से चोद ना ” निकल रही थी तो गिरीश चोदता हुआ मेरे जिस्म पर सवार हो गया फिर मैं शर्मिंदीगी भूलकर उनके गाल चूम ली और पूछी ” क्यों ससुर जी बहु को चोदने में मजा आ रहा है
( वो बोले ) बहु हो या बेटी चूत चोदने का मजा ही अलग होता है ” और मैं गिरीश के कमर को पकड़े चूतड उछालना शुरू की तो गिरीश मेरे ओंठ चूमते हुए चोदे जा रहा था, उसके चोदने की रफ्तार काफी तेज थी तो बुर का रस हवा में उड़ चुका था और मैं चुदाई के चरम पर थी और अपने गोल गुंबदाकार नितंब को उछाल उछाल कर चुदाने में मस्त तो गिरीश चोदने में, रात के अंधेरे में ये जानबूझकर की गई भूल थी जिससे मेरी चाहत पूरी हुई और अब मैं ५ मिनट तक चूतड उछाल कर थकान महसूस करने लगी तो बोली ” दो मिनट का रेस्ट चाहिए ससुर जी ” और वो मेरे जिस्म पर से हट गए और मैं वाशरूम चली गई, बुर तो लहर रही थी और मूतने के बाद बुर को धो ली फिर रूम मे आई तो गिरीश का लन्ड पुरी तरह से खड़ा और लंबवत था।
मैं अब बेड पर डॉगी स्टाइल में हो गई तो गिरीश जी मेरे चूतड के सामने बैठकर जांघो को फैलाए और लन्ड को बुर में घुसाने लगे तो आधा लन्ड घुसते ही मैं चूतड को पीछे की ओर धकेली इतने में ससुर जी जोर से धक्का देकर चोदना शुरू किए, मैं चूतड को हिलाने लगी और ससुर जी चोदते हुए मेरे सीने से झूलते स्तन को पकड़ दबाने लगे और मैं मस्त थी कारण की दुबारा बुर से रस निकलने वाला था ” आह आह उह उफ उई और तेज गिरीश मेरी बुर रसीली होने वाली है ” तो गिरीश गबरू जवान था और वो जिस कदर मेरी चुदाई कर रहा था मानो वो जल्दी झड़ने वाला नही तभी मेरी बुर से रस निकलने लगा तो मैं चूतड स्थिर कर चूतड आगे किए लन्ड निकाल दी फिर बेड पर लेट गई, गिरीश वाशरूम चला गया और मैं बेड पर लेटे हुए उनका इंतजार कर रही थी, कुछ देर बाद वो बेड पर आए फिर मेरी जांघों के बीच लन्ड पकड़े बैठ गए और मेरी बुर में लन्ड घुसाते हुए कमर पर हाथ रखे हुए थे फिर उन्होंने जोर का धक्का मारा और मैं चिहुंक उठी ” उई मां बिल्कुल गधे का लन्ड है ” और गिरीश चोदता हुआ मेरे ऊपर सवार हो गया तो मैं उनके बदन के नीचे लेटे हुए चुदाई का आनंद लेने लगी और उनके गाल चूम रही थी तो मेरे बड़े बड़े बूब्स उनकी छाती से रगड़ खा रहे थे, अब मैं दुबारा चूतड उछालना शुरू की तो दोनों चुदाई में लीन थे और मेरी बुर तो उसके लन्ड का धक्का दस मिनट से सहते हुए गर्म हो चुकी थी तो अब ससुर जी भी हांफने लगे ” आह तेरी बुर में नशा है कल फिर चोदूंगा
( मैं उनके गाल चूमने लगी ) कल भी रुकेंगे
( वो बोले ) हां अभी तो ३-४ दिन का काम है ” और मैं समझ गई की मुझे हर रात चुदवाने का मौका मिलेगा फिर क्या था गिरीश का लन्ड बुर में वीर्य स्खलित कर सुस्त पड़ गया और कुछ देर मैं ऐसे ही लेटी रही फिर मैं फ्रेश होकर अपने कपड़े पहन ली और ससुर जी बरामदे पर बेड पर सोने चले गए तो मैं बेड रूम चली गई।

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