फ्रेंड्स
दीपा मल्होत्रा का ये वाक्या साल भर पहले का है, जब मैं ससुराल गई थी और वहां तो मुझे अकेलापन और तन्हाई के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा था, मैं २८ वर्ष की शादीशुदा महिला हूं जिसको एक पांच साल का बेटा भी है और मेरी खुबसूरती के कारण ही मेरी शादी विवेक जैसे आर्मी ऑफिसर से हुई, लंबाई ५’६ इंच तो बदन गोरा और फिगर ३६-२६-४० इंच, मैं अपने पति के साथ ससुराल आई फिर वो दो दिन रहकर चले गए और मैं सासू मां, ससुर जी साथ ही नौकर हरीश के साथ यहां थी, अपने बदन की मालिश के बहाने नौकर हरीश के साथ हमबिस्तर हुई लेकिन फिर मुझे आत्मग्लानि महसूस होने लगी और मैं अगले दो दिन तक उसके सामने तक नहीं गई और ना उसे पास बुलाई। मैं अपने शादीशुदा जिंदगी से संतुष्ट हूं लेकिन इस संतुष्टि में एक आदत शामिल हो गई है और वो है गैर मर्दों के साथ शारीरिक संबंध बनाना, पति दिल्ली में पोस्टेड थे तभी उन्होंने मुझे ग्रुप सेक्स और वाइफ स्वैपिंग के लिए उकसाया फिर तो मैं पति से कम और गैर मर्दों संग अधिक समय बिताने लगी, अंबाला कैंट में तो लेडिस क्लब में प्लेबॉय के साथ शारीरिक संबंध कई बार बनाई और अब मेरे पति भी मुझमें उतनी रुचि नहीं लेते तो मैं अपने जिस्म की आग शांत करने के लिए इधर उधर मुंह मारते रहती हूं। इटावा शहर में ससुर जी का आलीशान बंगला था और एक शाम उनके रिश्तेदार वहां आए जोकि रात को रुकते, मैं सासू मां के कहने पर चाय बनाई फिर कुछ स्नैक्स प्लेट में लिए डाइनिंग हॉल आई तो कुर्सी पर बैठा हुआ इंसान भले ही मेरे रिश्ते में ससुर जी लगते लेकिन उसकी उम्र ३५-३६ साल की थी और सासू मां के कहने पर मुझे साड़ी, ब्लाउज पहनना पड़ा फिर भी भारतीय महिलाएं तो इसी लिबास में हॉट और सेक्सी दिखती हैं, मैं उनके सामने पड़े टेबल पर प्लेट और चाय का प्याला रखने के लिए झुकी तो संयोग कहिए की मेरी पल्लू जोकि बूब्स को ढकी हुई थी नीचे आ गई और मैं जब तक साड़ी के पल्लू को ठीक करके खड़ी होती वो मेरी बूब्स को गिद्ध की तरह देखता रहा और मैं मुस्कुराते हुए उनके चरण स्पर्श की फ़िर वहां से हट गई। मैं रूम में आकर सोच में पड़ गई की इस ससुर जी के साथ रात को रोमांस किया जाए तो कैसा रहेगा, एक अलग स्वाद जिसकी मैं भूखी रही हूं और यहां तो चूत की खुजली मिटाने के लिए वाइब्रेटर तक का यूज करती हूं के सामने ऐसा गबरू जवान है और फिर मन से तैयार हो गई की रात को इनको खाना खिलाते वक्त थोड़ा और जिस्म दिखाऊंगी फिर इनके साथ मजे लुंगी। रात के ०९:३० बजे बेटा सो गया फिर मैं किचन गई और पराठे बनाने लगी तो सासू मां किचन आकर बोली ” जल्दी कर बहु, गिरीश तो खाना खाने के लिए इंतजार कर रहा है
( मैं बोली ) दो मिनट और फिर मैं खाना परोस दूंगी ” और मैं खाना लेकर डाइनिंग हॉल आई तो ससुर जी वहां नही बैठे थे, मैं खाने की थाली को टेबल पर रखने के लिए फिर से झुकी और इस बार तो साड़ी को ब्लाउज में पिन से अटैच भी नहीं की थी, झुकते ही साड़ी की पल्लू नीचे गिर गई और मेरे डीप नेक ब्लाउज से चूचियां बाहर की ओर झांकने लगी तो मैं साड़ी को झटपट उठाते हुए ठीक करने लगी लेकिन गिरीश जी तो मेरे बूब्स आराम से देखते रहे और मैं तुरंत ही वहां से हटी तो सासू मां किचन में पराठे बना रही थी और मैं अपने ससुर जी के लिए खाना प्लेट में करने लगी तो सासू मां बोली ” अब तुम जाकर फ्रेश हो लो मैं इनको खाना खीला देती हु
( मैं बोली ) नही मां जी आप जाकर बैठिए मैं खाना खीला दूंगी ” मैं थाली लेकर गई और अबकी बार साड़ी को थोड़ा ब्लाउज में घुसा दी थी, जाकर थाली टेबल पर रखी फिर वहां से हट गई तो मेरे ससुर जी गिरीश से बात कर रहे थे ” मौसम सुहावना है, रूम में सोओगे या बरामदे पर
( वो बोले ) बरामदे पर लेकिन मच्छरदानी लगवा देना ” और रात १०:३० बजे तक सबलोग खाना खाकर अपने अपने बेड पर चले गए तो मैं बेड पर लेटी हुई गिरीश की नजरों को याद कर रही थी।
मैं तो खुद गिरीश जी के पास जाना चाहती थी लेकिन शर्मिंदीगी के कारण बरामदे पर नही गई, बरामदे पर का गेट लगा हुआ था लेकिन घर का मेन गेट खुला रहने दिया गया था और मैं साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतारकर नाईटी पहन ली थी, बेड पर गिरीश के बारे में सोचते हुए लेटी हुई थी और आधे घंटे बाद मुझे लगा की मेरे रूम में कोई घुसा है तो मैं जानबूझकर आंखें बंद कर रखी थी। गिरीश मेरे रूम में घुसा फिर बेड के किनारे वो खड़ा था और अब मेरी बाहों को हिलाने लगा ” सो गई क्या बहुरानी ” मैं झट से चित हुई और आंखें खोली और हड़बड़ा कर उठ बैठी ” आप मेरे कमरे में क्या चाहिए
( वो हंस दिए ) तुम जरा बाहर बरामदे पर तो आओ
( मैं बोली ) लेकिन बात क्या है ” तो वो गुस्से में रूम से निकल गए और मैं उनके जाने के बाद रूम से निकली फिर बरामदे पर आई तो गिरीश बेड पर लेटा हुआ था, मुझे देख खुशी से झूम उठा और बेड से उतरकर खड़ा हुआ तो मैं उसके सामने खड़ी थी, कुछ बोलती उसके पहले ही गिरीश मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा तो मेरे गाल से लेकर गर्दन तक उसका ओंठ चुम्बन दे रहा था इतना ही नही मेरे गोल गद्देदार गांड़ को वो सहलाने लगे तो मैं उनसे हटने का नाटक करने लगी ” छोड़िए मुझे ये क्या कर रहे हैं ” और उससे दूर होकर खड़ी हुई तो गिरीश मुझे देख पूछा ” क्यों डर रही हो कोई नही जान पाएगा
( मैं उनके तरफ बढ़ी फिर लुंगी पर से ही लन्ड को पकड़ ली ) लगता है मुझे देख आपका ये टाईट हो गया
( गिरीश हाथ बढ़ाए मेरे बूब्स को नाईटी पर से पकड़ दबाने लगा ) यही तो दिखा रही थी जानेमन ” और मैं उनके लन्ड को छोड़ बोली ” आप छत पर जाइए मैं तुरंत आती हूं ” बरामदे से ही छत पर जाने की सीढ़ी थी तो ऊपर का दोनों कमरा खाली पड़ा था और मैं अब अपने रूम आई फिर फ्रेश होकर रूम का दरवाजा सटाई, सब लोग सो रहे थे और मैं बरामदे पर आकर फिर छत पर गई तो एक रूम का दरवाजा खुला देखी, जिसमें मैं अंदर घुसी तो गिरीश बेड पर लेटा हुआ था और मैं दरवाजा बंद करके उसकी ओर बढ़ी, बेड के नीचे ही खड़ी थी और अपने नाईटी के डोरी को खोल उसे बदन से निकाल दी फिर भी मेरे जिस्म पर शॉर्ट नाइटी थी तो पेंटी बुर को ढकी हुई और बेड पर चढ़कर उनके छाती सहलाने लगी तो गिरीश मेरे बूब्स को पकड़ दबाने लगा ” मेरी बहु इतनी सेक्सी और हॉट है पता ही नही था
( मैं उनके लुंगी के गांठ को खोल नीचे कर लन्ड पकड़ ली ) ससुर जी का औजार इतना लंबा और मोटा सासु तो इसे लेकर रो पड़ती होगी ” और मैं तुंरत ही उनके ऊपर सवार हुए उनके गाल चूमने लगी तो गिरीश मेरी नाईटी जोकि चूतड तक थी के अंदर हाथ घुसाए फिर चिकने नितंब को सहलाने लगे और मैं उनके बदन पर लेटकर उनके गाल चूमने लगी जबकि गिरीश मेरे गर्दन को चूम रहे थे साथ ही नाईटी को कमर तक उठाए चूतड पर हाथ रगड़ रहे थे और फिर दीपा ससुर जी के ओंठ पर ओंठ रख चुम्बन देने लगी तो ससुर जी मेरे ओंठ मुंह में भर चूसने लगे, उन्हें क्या मालूम की ये बहु दस घाट का पानी पी चुकी है और ससुर जी मेरे ओंठ को छोड़ो तो मैं उनके मुंह में जीभ घुसाई जिसे वो चूसने लगे और मेरा बदन सेक्स की आग में सुलगने लगा, उनके मुंह में पूरा जीभ घुसाए चुसवा रही थी तो मेरे गद्देदार गांड़ को सहलाता हुआ गिरीश गर्भ हो चुका था, मेरे जीभ मुंह से निकाल मुझे बेड पर लिटाया फिर मेरे नाइटी को जिस्म से निकाल मुझे नंगा कर दिया ” क्यों ससुर जी आप तो बहु को आशीर्वाद में कुछ नही दिए
( वो मेरे बूब्स पकड़े चेहरा उस पर किए ) जरूर दूंगा तेरे जैसी बहु को क्या चाहिए बस बोल के तो देखो ” और वो मेरी बूब्स मुंह में भर चूसने लगा तो उनका दूसरा हाथ मेरे जिस्म पर घूम रहा था और मैं उनको छाती से लगाए स्तनपान करा रहीं थी साथ ही उनके लन्ड को पकड़ हिलाने लगी जोकि ८ इंच लंबा और ढ़ाई इंच मोटा होगा ” आह उह उई बुर के अंदर इतनी गुदगुदी ससुर जी अब नीचे की ओर ” गिरीश मेरे बूब्स मुंह से निकाला फिर मेरे जिस्म को चूमने लगा, मैं तो जांघ पर जांघ चढ़ाए लेटी थी तो उनका हाथ मेरी जांघों को सहलाने लगा, दीपा के बदन में काम उत्तेजना बढ़ चुकी थी और आखिर में ससुर जी मेरे मोटे चिकने जांघ को चूमते हुए जांघो को दो दिशा में कर दिए तो मैं अब शर्म हया भूलकर टांगे फैलाई फिर तो वो मेरी बुर को सहलाने लगे ” बहुत मस्त माल हो
( मैं झेंप गई ) आपकी बहू हूं क्या बोल रहे हैं ससुर जी ” और वो झट से मेरी बुर पर मुंह लगा दिए, उसको चूमते हुए जांघ सहला रहे थे फिर तो उंगलियों की मदद से बुर को फलकाए, जिसमें अपनी जीभ डालकर चाटने लगा, मेरी जैसी चुदक्कड औरत जोकि ८ साल से चुदाई करवा रही है का बुर भोंसड़ा हो चुका था और मैं आहें भरने लगी ” आह ओह उह उई गिरीश अब तो छोड़ो रस निकलने पर है ” लेकिन वो कुत्ते की तरह बुर को चाटता रहा फिर बुर रसीली हो गई, मैं थोड़ी ढीली पड़ गई लेकिन इतना मोटा लन्ड चूसे बिना चुदाई में क्या आनंद, उनको लिटाई फिर लन्ड पकड़ चूमने लगी तो गिरीश मेरे बूब्स को दबाने लगा और मैं झट से मुंह खोल उसके आधा लन्ड को अंदर ली फिर चूसने लगी, मेरे बुर से लेकर गांड़ तक में खुजली हो रही थी लेकिन फिलहाल मुंह का प्यास बुझाने के लिए मुंह का झटका देते हुए मुखमैथुन करने लगी और गिरीश ” आह बहुत मजा आ रहा है तुम तो चूसने में एक नंबर की रण्डी हो ” मैं कुछ देर लन्ड को चूसते रही फिर मुंह से निकाल वाशरूम चली गई, चुदाई का इंतजार कीजिए।