थोड़ी दूर जाने के बाद लड़का एक घर के पास रुका और मोबाइल निकाल कर किसी को फोन करके बोला तो दरवाज़ा खोल कर
अन्दर से एक करीब 30 साल का आदमी निकला और तेज़ी से पास आके पुछा – क्या चाहिए भाई..
उस लड़के ने कहा – सेक्स की खिलौने चाहिये इनको
फ़िर वो मुझे अन्दर ले गया. और मैं अन्दर एक रूम में पहुँचे, तो वहां तरह तरह की आइटम रखे हुए थे.
मैंने पूछा – बाईव्रेटर वाला लंड है??
वो मुझे देखता ही रह गए. और मुझे दिखाया।
तो मैंने वहां से एक लंड एक बेल्ट और हैंडकफ लिए और फ़िर मैं वहां से निकला और मैं रितु के घर की तरफ़ जाने लगे
जैसे ही मैं रितु के घर पहुंचे रूम पे पहुंचे तो देखें रितु घर के बाहर खड़ी होके वेट कर रही थीं… मुझे देख के रितु के चेहरे पे खुशी छा गई.
मैं अंदर गया तो रितु ने अपने घर का दरवाज़ा खोला और बैग रखा और। देखें घड़ी में तो 2 बज गए थे.
तभी रितु बोली जल्दी चलो खाने बहुत भूख लगी है.
और मैं हाल में पहुंच गया. रितु टेबल पे खाना लगा के बैठी मेरा इंतजार कर रही थी.
मैं पुछा – आपने खाना नहीं खाया अभी तक रितु जी
रितु बोली आपके बिना कैसे खा लेती मेरी जान.. चलो अब टाइमपास मत कर, पेट में चूहे दौड़ रहे हैं.”
मैं खाना खाने बैठ गया, तो रितु उठीं और मेरी गोद में आके बैठ गईं और हम एक दूसरे को खाना खिलाने लगे.
खाना खा कर हम बाते करते रहे, पूरा दिन ऐसे ही निकल गया. शाम के सात बजे मैं बाथरूम में गया. नहा कर बाहर आया तो रितु नहाने चली गई मैं बैग उठा के हाल में गया और अपनी तैयारी करने लगा. आधे घंटे के बाद सब तैयारी कर के रूम में गए.
तो देखें रितु बेडरूम में रेडी हो रही थीं. मैंने एक ज़्यादा देर चोद सकूं, ऐसी गोली खाई.. क्योंकि ये गोली आधे घंटे के बाद असर दिखाती है.
अब मैं जा कर सोफे पे बैठ गया, थोड़ी देर बाद बेडरूम का दरवाज़ा खुला मैं रितु को देखता ही रह गया. आज रितु ने वाइट कलर की पारदर्शक नाइटी पहनी थी, जिससे उनका पूरा जिस्म साफ़ दिख रहा था.
रितु ने बॉडी कलर की ब्रा पेन्टी पहनी थी. वो थोड़ी देर वहीं दरवाज़े पे अलग अलग पोज देके मुझे दिखाती रहीं और फ़िर मटकते हुए मेरे पास आकर मेरी गोद में बैठ गईं.
अब हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे. थोड़ी देर मेरे होंठ चूसने के बाद रितु उठीं और नाइटी उतार के एक साइड फेंक दी और अपनी टांगें फैला कर मेरे पैरों के ऊपर बैठ गईं, मेरा लंड पैन्ट के अन्दर से उनकी पेन्टी पे टच करने लगा.
फिर रितु अपनी हाथ पीछे ले गईं और अपनी ब्रा खोल के ऊपर हवा में उछाल दी. और रितु एक बूब्स को हाथ में पकड़ कर मेरे मुँह में देने लगीं. मैं रितु की निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा.
हम दोनों वासना की आग में डूबने लगे. अब मैं रितु की बूब्स को पकड़ के जोर जोर से दोनों को बारी बारी से चूसने लगा.
‘उफ्फ्फ्फ्फ सीईईईईई विक्रम र्र.. अह.. ऐसे ही चुसो मेरे शेर.. आहहह्ह्ह..’
‘ह्म्म्म्म.. प्चाआआआ फिर मैंने कहा रितु जो नशा अपनी बूब्स में है.. वो और कहीं नहीं है..’
रितु जल्दी से उठीं और जाने लगीं और थोड़ी देर में रितु बची हुई रम की बोटल के साथ वापस आईं, मुझे देख कर मुस्कुरा कर बोलीं – नशे को थोड़ा और बढ़ाया जाए मेरे राजा.
और रम की बोटल खोल के फ़िर मेरे ऊपर बैठ गईं और एक बूब्स को पकड़ कर मेरे मुँह में दे दिया. मैंने चूचा मुँह में लिया और रितु बोटल को मुँह पे लगाया और 2 – 3 घूंट नीट रम पी गईं.
फिर रितु आंख मारते हुए बोलीं – आज दर्द सहने के लिए ये तो पीनी ही पड़ेगी.. बस एक बात का ख्याल रखना, विक्रम मेरी बांहों पर और गर्दन पर कोई निशान ना पड़े.. बाकी मेरे शरीर पर कुछ भी कर सकते हो मै सम्भाल लूँगी.
फिर रितु मुझे भी पीने के लिए बोली और मेरे मुँह पे बोटल लगा दी. तो मैं भी 2 घूँट नीट पी लिए और फ़िर रितु की बूब्स चूसने लगा. तो रितु अपने बूब्स पे दारू गिराने लगीं और मैं चूस चूस कर पीने लगा.
फिर कुछ देर बाद रितु उठीं और मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गईं. और रितु अपनी पेन्टी को पकड़ के झुकते हुए नीचे तक ले गईं, उनके गोल गोल गांड़ बिल्कुल खुल चुके और मुझे पागल बना रहे थे.
मैं उठे और रितु के दोनों गांड़ को चूमा. तो रितु एकदम से खड़ी हुईं और सोफे के किनारे के ऊपर बैठ गईं.
और फिर रितु अपनी उंगली से मुझे चूत चूसने के लिए इशारा किया.. मैं रितु की चूत पे किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ा. और रितु अपने पेट पे रम डालने लगीं, जो बह के रितु की चूत से सीधा मेरे मुँह में आ रही थी.
मैं कभी रितु के चूत कि पंखुड़ियों को चूस रहा था.. कभी कभी जीभ रितु की चूत में डाल देता, कभी पूरी चूत को मुँह में भर लेता. ऐसे ही 20 मिनट चलता रहा और रितु मुझे दारू पिलाते हुए, ख़ुद भी दारू पिए रही थीं.
फिर रितु पर नाशा हावी होने लगा तो मैंने रितु के हाथ से बोतल छीन कर टेबल पर रख दी.
फिर रितु नीचे उतर कर मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगीं, फ़िर रितु सोफे के नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड चूसने लगीं. 15 मिनट तक रितु मेरे लंड को चूसती और चाटती रही फिर उठीं.
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मैं खड़ा हो गया और रितु को अपनी बांहों में उठा कर किस करने लगा और पंखे के निचे खड़ा कर दिया फिर. मैंने पंखे से एक रस्सी बाँधी बांधी.
और ठीक पंखे के नीचे रितु को खड़ा कर दिया और हैंडकफ से रितु को बाँध दिया. फ़िर अपने बैग से वाइब्रेटर निकला और रितु के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गया. फिर रितु की चूत को चूमा और वाइब्रेटर को रितु की चूत में डालने लगा.
करीब 8″ लम्बा वाइब्रेटर था, मैंने पूरा रितु की चुत में डाल दिया. तो रितु कसमसाईं, पर नशे में होने की वजह से उन पर ज़्यादा असर ना हुआ.
मैंने अपना बैग उठाया और उसमें से जैली निकाल कर अपने लंड पे मलने लगा और फ़िर रितु के पीछे जाके उनकी गांड के छेद पे थोड़ी सी लगा दी.
रितु पे शराब का सुरूर छाया हुआ था. तो रितु नशे में झूम रही थीं, और आने वाली तकलीफ़ से अनजान थीं. मैंने बैग से मुँह पे बाँधने वाली पट्टी निकाली जिसमें आगे बॉल लगा हुआ था.
और मैं रितु के पास गया और रितु के बाल पकड़ कर खींचे, वैसे ही रितु का मुँह खुला फिर मैंने रितु के मुंह में बॉल को डाल दिया और पट्टी बाँध दीया।
और मैं रितु के जिस्म को सहलाता हुआ रितु के पीछे गया और रितु की गांड के छेद पर अपना लंड टिका दिया. रितु की कमर को अपने मजबूत हाथों में पकड़ा और एक ज़ोरदार झटका मारा.
गछ्ह्ह्ह्ह.. की आवाज़ के साथ मेरा आधा लंड रितु की गांड में घुस गया. तो एकदम से रितु का नशा उतर गया और रितु हिल सी गईं. और रितु चिल्लाना चाहती थीं, पर रितु के मुँह में बॉल घुसा होने की वजह से चिल्ला नहीं पाईं. मैं अपना हाथ आगे ले गया और वाइब्रेटर ऑन कर दिया, रितु तड़पने लगीं.
मैंने पीछे से जोर से एक और धक्का मारा.. और मेरा पूरा लंड रितु की गांड को चीरता हुआ अन्दर चला गया. रितु की आंखों से आँसू बहने लगे.
मैं पीछे से रितु की गांड को जोर जोर से चोदने लगा और गांड़ पे चांटे भी मार रहा था. करीब 35 मिनट तक मैंने रितु की गांड मारी और वाइब्रेटर आगे रितु की चूत के चिथड़े उड़ा रहा था
और मैं रितु की गांड की गर्मी और नहीं सह पा रहा था, मैंने 8 – 10 धक्के और लगाये और मेरा लावा फूट पड़ा. मैं झड़ने लगा.
और रितु की चूत से लगातार रस बह रही थी, जो रितु के जांघों को नहलाए जा रही थी. फ़िर मैं रुक गया और वाइब्रेटर को बंद कर दिया. रितु गांड से अपना लंड निकाला और रितु के हैंडकफ खोल दिआ, तो रितु ज़मीन पे गिर गईं.
मैंने पानी की बोतल उठाई और रितु के पास गया, मैंने रितु के मुँह से पट्टी खोली और रितु को पानी पिलाया.. और गले लगा लिया – सॉरी रितु जी.. आप ये सब क्यों करवा रही हो मुझसे?
इतना बोलकर मैंने रितु को गले लगा लिया।
रितु दर्द भरी आवाज़ में मेरे गले लगे हुए बोली मुझे इतना दर्द हुआ है तो बहुत अच्छा लगा रहा है, फ़िर रितु बोली तुमने जो किया, मेरे कहने पर किया हो ना??
मैंने कहा रितु जी आपको दर्द देने के बाद मुझे बहुत बुरा फील होता है.
रितु बोली – बुरा फील मत किया कर.. जो भी हो रहा, मैं ही कर रही.. तुम नहीं.
मैंने कहा – ओके रितु जी.
फ़िर मैंने रितु को उठाया और बेडरूम में बेड पर ले जाकर रितु को लेटा दिया.
और कुछ देर बाद फिर से वासना का खेल शुरू हो गया. रितु ने अबकी बार खुद से मुझसे जैली मांगी. मैंने रितु को बताया कि मेरे बैग में है. रितु खुद जाकर जैली ले आईं और रितु अपनी गांड में भर ली. फिर रितु मेरे लंड पर जैली मली और खुद अपनी गांड को मेरे लंड के हवाले कर दिया.
दरअसल उस समय रितु की गांड मैं खुद नहीं मार चाह रहा था, लेकिन रितु खुद अपनी गांड मेरे लंड से मरवा रही थीं.
रितु ने मुझे चित्त लिटा दिया और रितु खुद अपनी गांड को मेरे लंड की नोक पर टिकाते हुए बैठने लगीं. जैसे ही लंड रितु की गांड में घुसा रितु दर्द से कलप गईं. कुछ देर गांड में लंड का मजा लेने के बाद मैंने रितु की चुत में अपने लंड को घुसेड़ दिया और उनकी जोड़ीदार चुदाई शुरू करने लगे.
उस रात मैंने रितु की 6 बार चुदाई की…
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