ससुराल में बुरी फंसी : ससुर संग चुदाई (भाग-३)

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फ्रेंड्स,
दीपा अपने ससुराल में अपने रिश्ते के ससुर जी के संग ही हमबिस्तर हो गई तो मुझे दोपहर में उन्होंने चोदा फिर शादी के घर में तो काम ही काम और शाम के वक़्त सारी महिलाएं शादी के रस्म को करने लगी, फिलहाल तो दीपा उस रस्म में शामिल हुई और ध्यान शांतनु पर ही था जोकि देर रात मुझे घर के उपरी मंजिल पर बुलाकर चोदने को तैयार थे तो उनका कसरती बदन और फौलादी लंड मुझे भा गया था। रात के दस बजे तक सारे लोग खाना खा चुके थे तो मैं अपने पति से बरामदे पर ही बात कर रही थी और वो मेरे साथ हमबिस्तर होने को आतुर थे ” दीपा, तुम तो चाचा जी के घर में ही सोओगी और मुझे उस घर के बरामदे पर
( मैं थोड़ा इठलाते हुए बोली ) सो क्यों जी आपको भी अब मेरे बिना नींद नहीं आती
( नमन हंसने लगा ) हां, वैसे भी शादी के अगले दिन ही वापस चला जाऊंगा
( मैं ) अच्छा तो क्या हुआ, यहीं साथ रहने का जुगाड देखते हैं आज रात अकेले जाकर रहिए ” मैं तो शांतनु के लंड की प्यासी थी और पिछले छह साल से पति के साथ मजे ले लेकर ऊब चुकी थी लेकिन उनकी पत्नी हूं तो मेरे पर तो उनका ही अधिकार है, मैं पति को गुड नाईट बोल चाचा जी के घर की ओर गई तो उस रूम के बेड पर मैं, मेरी चचेरी सासू मां और उनकी एक बेटी सोती थी। मुझे देख वो बोली ” बहू कपड़ा बदल ले फिर सो जा ” मैं दरवाजा बंद की फिर नाईट बल्ब की रोशनी में अपनी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतार एक नाईटी बदन पर डाल ली, वैसे भी जून आखिरी का महीना तो गर्मी और उमस से परेशान थी साथ ही यहां हमेशा पॉवर सप्लाई रहती नहीं थी, अब बेड पर लेटी और दरवाजा जाकर खोल दी ताकि पंखा के अलावा बाहर का हवा भी अंदर आ सके। बेड पर एक ओर सासू थी तो बीच में उनकी बेटी और दूसरे किनारे मैं, मैं अपना मोबाईल अपने तकिया के पास ही रखी थी ताकि ससुर का मैसेज आते ही छत पर जाकर मजे लूं, चूत की खुजली भी क्या चीज है कि लड़कियां और महिलाएं इसको मिटाने के लिए रिश्ते तक को भूल जाती हैं साथ ही गर्मी हो या ठंड, बारिश हो या बसंत अपने जिस्म की आग बुझाने के खातिर किसी भी हद तक जा सकती हैं। मैं एक फूल साईज नाईटी पहन रखी थी जिससे मेरी जिस्म ढकी रहे, आखिर गांव में हूं तो सब बातों का ख्याल रखना पड़ता है और तभी मेरी आंख लग गई और मैं गहरी नींद में थी कि कुछ देर के बाद मुझे लगा मानो मेरे मोबाईल पर कोई मेसेज आने का टोन बजा हो, मैं हड़बड़ा कर तकिया के पास से मोबाईल ली और वॉट्सएप देखी तो ससुर जी मुझे छत पर आने को कहे थे, वक़्त रात के ११:४० हो रहे थे तो मेरे बेड पर सासू और उनकी बेटी गहरी नींद में सो रही थी, फिर मैं बेड पर से उतरी और दवे पांव रूम से बाहर निकल गई और दरवाजा सटाकर छत की ओर गई। दीपा को यहां बोरियत महसूस हो रही थी लेकिन आज का दिन अच्छा रहा तो अपने तन की आग बुझाने के लिए छत पर गई और ससुर जी तो खटिया लगाए उसपर लेटे हुए थे, एक ही लोग उसपर लेट सकते थे तो मुझे देख वो उठे फिर बोले ” फर्श भी साफ है उसपर ही बिस्तर डाल देता हूं और टेबल फेन भी जमीन पर ही रख देता हूं ताकि तुम्हें गर्मी ना लगे ” और मैं उनके खड़े होते ही उनसे लिपट गई फिर उनको चूमने लगी तो शांतनु मेरी चूतड को सहलाने लगे और फिर दोनों प्रकृति की गोद में ही एक दूसरे से लिपटे चुम्बन में लग गए, अब मेरे रसीले ओंठ को चूसते हुए वो मेरे चूतड पर हाथ रगड़ रहे थे तो मेरा गोल गुंबदाकार नितम्ब उनको काफी आंनद दे रहा था कारण की मैं सिर्फ बिकनी ही पहन चूत को ढक रखी थी और तभी ससुर जी मुझे खटिया पर लिटाकर मेरे बगल में बैठ चूची को पकड़ मसलने लगे। दीपा बेशरम की तरह अपने नाईटी की डोरी खोल उसे बाहों पर कर दी तो वो उसे भी मेरे तन से बाहर कर मुझे नंगा कर दिए फिर उनका मंशा साफ था तो वो मेरे उपर सवार होने के पहले अपना बनियान उतार फेंके और अब मेरी चूची को पकड़ दबाने लगे तो मैं उनके भारी शरीर के नीचे थी, उनके मुंह में मेरी चूची गई और वो प्यार से चुस्क चूसक कर मेरी चूची चूस रहे थे तो मैं उनके पीठ सहलाते हुए सिसकने लगी ” उह ओह अब बस भी कीजिए ससुर जी असली काम शुरू कीजिए ना
( वो चूची मुंह से निकाल बोले ) आराम से मेरी प्यारी चुदक्क़ड बहू अभी दूध पीने तो दे ” और वो मेरे बाईं चूची मुंह में लिए चूसने लगे तो उनके बदन को सहलाते हुए मैं उनके चूतड तक को सहला रही थी और वो अब मेरे तन पर से उतर बोले ” अब उठो बिस्तर जमीन पर लगाने दो ” फिर मेरे रिश्ते के ससुरजी ने फर्श पर बेड लगाया और पंखा तो मैं अपनी नाईटी को चूचियों से लगाए तन ढकने का असफल प्रयास कर रही थी…. आगे क्या हुआ? अगले भाग में

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