सावन के महीने में भैया बने सैयां

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दोस्तों
मेरा नाम रिमझिम है, उम्र २४ वर्ष तो शरीर स्लिम और गोरा बदन के साथ फिगर ३४-२६-३६ है तो बूब्स मध्यम आकार की और जांघो के बीच बुर लालिमा लिए साथ ही गोल गुंबदाकार गांड़ लेकिन दो साल पहले मेरी शादी हो चुकी है तो मर्द के छुऊं का एहसास मिला फिर तो मेरा मन इधर उधर भटकता ही रहता है, पति के साथ हर दूसरे दिन ही शारीरिक संबंध बनता है लेकिन अब गैरों के लिए तड़पती हूं, कोई हेंडसम मर्द देखी तो मन करता है उससे लिपटकर अपने तन की आग बुझा लूं लेकिन सामाजिक और पारिवारिक बंधन के कारण ये काम नामुमकिन है। कुछ दिन पहले की बात है जब मैं अपने अंकल के घर गई थी, वहां मेरे अंकल, आंटी, भैया रहते थे तो जाने के पीछे मेरे हब्बी का कुछ काम था तो पति पत्नी वहां पहुंचे फिर यात्रा की थकावट दूर करने के लिए मैं सीधे फर्स्ट फ्लोर पर चली गई, सब लोग नीचे ही रहते थे लेकिन मेरे भैया ऊपर के ही कमरे में रहते थे तो उनके बारे में बता दूं, उनका नाम विवेक है, उम्र २६ साल के करीब होगी तो बदन कसरती और देखने में स्मार्ट लेकिन काफी अनुशासन प्रिय फिर भी मेरी नजर तो उनको ही ढूंढ रही थी, देखूं कहीं उन्हें सम्मोहित कर अपनी ओर आकर्षित कर सकूं फिर अपने बदन की आग बुझा सकूं। मैं तो दोपहर के वक्त पहुंची थी और आंटी से पता चला कि भैया शाम तक ही घर वापस आएंगे और मैं अपने मन में चल रही असमंजस सी स्थिति से जूझते हुए ये सोच चुकी थी की भैया के आते ही क्या करना है ताकि वो खुद ही मुझे बाहों में भर लें, खाना खाकर आराम करने ऊपर के ही कमरे में आ गई तो साथ में मेरे पति भी थे और फिर मुझे नींद आ गई। शाम को नींद खुली फिर नीचे जाकर किचन में चाय बनाई और सबलोग चाय पीए, तभी विवेक भैया आए और मैं कुछ देर बाद चाय का प्याला किचन में रख भैया के पास गई और झुककर चरण स्पर्श की तो मुझे ध्यान ही नही था कि साड़ी को ब्लाउज में पिन से अटैच नही किया है और भाई के चरण स्पर्श के लिए झुकी तो साड़ी का पल्लू सीने से नीचे आ गया तो मेरी छाती सहित बूब्स का अधिकतर हिस्सा विवेक के सामने नग्न था, मैं शरमिंदिगी महसूस करते हुए झट से साड़ी को छाती पर रखी फिर वहां से चली गई तो भैया मेरे सीने को अच्छी तरह से देखे और फिर मैं आंटी के साथ मिलकर खाना बनाने लगी तो विवेक भैया छत पर चले गए और मैं कुछ देर बाद उनके रूम गई तो दरवाजा सटा हुआ था, मैं दरवाजा को धकेल अंदर घुसी तो भैया बेड पर लेटे हुए थे ” आओ रिमझिम थोड़ी थकान है इसलिए आराम कर रहा हूं
( मैं उनके करीब बेड पर बैठी फिर उनके पैर को पकड़ दबाने लगी ) ओह ये क्या कर रही हो
( मैं जानबूझकर साड़ी का पल्लू नीचे कर रखी थी ताकि वो बूब्स देख सकें ) ओह भैया आप थके हुए हैं थोड़ी मालिश कर दूं ”
विवेक चित लेटा हुआ था तो मैं उसके नग्न पैर को दबा रही थी, वो हाफ पैंट और बनियान में थे और मेरा हाथ धीरे धीरे उनके घुटनों से ऊपर की ओर गया और मैं उनको अपने वश में करने के लिए ही मुलायम हाथों से उनकी जांघो को सहलाने लगी तो भैया का चेहरा देख समझ में आ रहा था की उन्हें मेरी छूवन का एहसास मिल रहा है और फिर मैं उनके हाफ पैंट में ही हाथ घुसाई लेकिन भैया मेरा हाथ पकड़ लिए और बोले ” ये क्या कर रही हो रिमझिम प्लीज तुम यहां से जाओ ” मैं समझ गई कि विवेक मेरे नियत को भांप चुके हैं और मैं वहां से चली गई फिर रात को सब लोग साथ ही खाना खाए तो मैं अपने पति के साथ भैया के बगल के रूम में ही थी। मैं इस सोच में थी की कैसे उन्हें अपने जाल में फांस लूं ताकि उनके साथ मजा ले सकूं और रूम में आते ही मैं अपना कपड़ा बदल ली, साड़ी सहित पेटीकोट हटाई और नाईट गाउन पहनकर लेट गई और फिर पति को जल्द ही नींद आ गई, ऊपर के मंजिल पर वाशरूम कॉमन था तो मैं रूम से निकल पहले तो भैया के रूम में खिड़की की ओर से झांकी तो वो मोबाइल पर कुछ देख रहे थे फिर वाशरूम जाकर मूतने लगी लेकिन इसे महज संयोग कहिए की मैं दरवाजा खुला छोड़कर ही मूत रही थी और तभी विवेक भैया वहां आए और ज्योंहि उनकी नजर मुझ पर पड़ी वो हड़बड़ा गए और मेरी चूत पर नजर गड़ाते हुए हट गए। मैं फ्रेश होकर निकली तो भैया बरामदे पर खड़े थे फिर मैं नजर झुकाए अपने रूम चली गई तो शायद भैया वाशरूम चले गए, कुछ देर बाद मैं अपने रूम से निकली तो भैया के रूम का दरवाजा खुला था, वैसे भी उमस भरी गर्मी का मौसम था और मैं उनके रूम के दरवाजे के पास खड़ी होकर पर्दे के पीछे से सोच रही थी की अंदर जाऊं या नहीं और फिर बेझिझक उनके रूम में घुसी तो वो बेड पर लेटे हुए मोबाइल में कुछ देख रहे थे, मुझे देख बोले ” क्यों नींद नहीं आ रही
( मैं उनके रुख से सकपका गई की मेरी बुर देखकर भी महात्मा बना हुआ है ) नहीं वैसे आप क्या देख रहें हैं
( भैया बोले ) मोबाइल में न्यूज देख रहा हूं
( मैं उनके बेड के सामने खड़ी थी ) और कुछ देखने का मन नहीं करता ” ये कहते हुए मैं अपने नाईट गाउन का डोरी खोल उसे दो हिस्से में कर अपने नग्न जिस्म को दिखा दी तो विवेक मेरे बूब्स सहित नंगे पेट और कमर तक देख रहा था लेकिन मैं जांघो को सटाए बुर छुपा रही थी ” रिमझिम तुम्हे तनिक भी अंदाज है की तुम मेरे सामने क्या कर रही हो
( मैं बिना कुछ बोले आगे बढ़ी फिर एक पैर बेड पर रख अपने बुर को खुद सहलाने लगी ) क्यों विवेक तुम इतने भोले मत बनो अरे रिश्तों का क्या, बहन भी हूं तो चचेरी मौका भी है और मन भी, एक बार मेरी जवानी का रस तो पीकर देखो ” तो विवेक उठा फिर मेरे सामने खड़ा होकर मेरे बूब्स पकड़ दबाने लगा और मेरे चेहरे को चूमते हुए पूछा ” मेरे साथ सेक्स करोगी बाद में पश्चाताप तो नहीं होगा
( मैं भैया के लन्ड के उभार को पैंट पर से पकड़ दबा दी और गाल चूमने लगी ) उहूँ तुम्हें तो ऐसा मजा दूंगी की शायद कोई रण्डी नही दी हो ” और इतने में विवेक मेरे नाईट गाऊन को जिस्म से निकाल दिया तो मेरे नग्न बदन को देखता हुआ मेरे कमर में हाथ लगाया फिर गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
मैं नंगे ही लेटी थी तो विवेक झट से दरवाजा बंद कर अपना कपड़ा उतार दिया फिर मेरे बगल में बैठकर मेरे बूब्स को पकड़ जोर जोर से मसलने लगा और मैं उसके स्पर्श से मस्त थी, जांघो को आपस में रगड़ते हुए खुजली का एहसास बुर में पा रही थी तो विवेक मेरे चेहरे के ऊपर चेहरा किए गाल चूमने लगा और मेरे रसीले ओंठ पर ओंठ रख चुम्बन दिया ” तुझे चुदवाने की भूख है ना, शाम से ही तेरी हरकत देख रहा हूं
( मैं जांघें फैलाई ) ओह विवेक प्लीज कुछ करो ना बातें बाद में करना ” और वो मेरे गुलाबी ओंठ को मुंह में भरकर चूसने लगा साथ ही मेरे टाईट चूची को पकड़ दबाने लगा। विनय के लन्ड को पकड़ मैं हिलाने लगी और भैया तो मेरे ओंठ छोड़कर जीभ से ही चाटने लगे, उनके बदन मेरे जिस्म के ऊपर थे और वो जीभ से ओंठ चाटते हुए मुझे इशारे से जीभ निकालने को बोले और मैं देहाती लौंडिया शहरी बाबू के काम क्रिया को क्या समझूं, फिर वो अपना मुंह खोले और मेरी जीभ चूसने लगे तो एक हाथ से चूची दबाए जा रहे थे और रिमझिम का तो उद्देश्य पूरा हो चुका था। मैं कुछ देर तक जीभ चुसवाई फिर उनके चेहरे को पीछे कर जीभ निकाल दी तो विवेक मेरे गर्दन को चूमता हुआ भोंपू बजाए जा रहा था और ऐसे सुखद अहसास के लिए मैं तड़प रही थी, अब मेरे बूब्स को पकड़ मुंह में लिए और चूसते हुए मुझसे नज़रें मिलाने लगे तो मैं उनके पीठ को सहलाते हुए आहें भरने लगी ” आह उह उई मां इतनी खुजली ” और विवेक बुर चूस रहा था लेकिन मेरे बुर में काफी गुदगुदी हो रही थी, मेरे दूसरे स्तन से हाथ हटाया फिर उसको मुंह में लिए चूसने लगा तो उसके बाल को पकड़ मैं उसे छाती से लगाए स्तनपान करा रही थी, तभी वो मेरे जांघो के बीच हाथ लगाया और मेरे बुर को टटोलने लगा और आखिर में एक उंगली बुर की दरार में रगड़ते हुए अंदर घुसाया, वाह रे भैया तुम तो मेरे पति से भी उत्कृष्ट निकले, काम कला में माहिर और बुर को कुरेदते हुए चूची चूस रहे थी की मेरी बुर रसीली हो गई, मैं भैया के सर को पीछे कर चूची को मुंह से बाहर निकाली तो विवेक मेरे सपाट पेट चूमने लगा लेकिन बुर को कुरेद ही रहा था और मैं जिस्म की गर्मी और सनसनाहट से सिसकने लगी ” उई मां अब घुसा ना उह बुर रसीली हो गई ” वो कमर तक चुम्मा दिया फिर मेरे जांघें जो फैली हुई थी उसे पूरी तरह से फैलाकर बुर से उंगली निकाल दिया और मुझे देख पूछा ” क्या इसे चाट दूं
( मैं चेहरा फेर ली ) आपकी मर्जी ” मेरे पति तो बस लन्ड चुसाते हैं और ये शहरी लोग बुर तक चूमते और चाटते हैं, मैं जांघें फैलाई रखी और विवेक मेरी चूतड के नीचे तकिया डालकर बुर पर मुंह लगाया फिर बुर के मोटे फांकों को चूमते हुए जांघो को सहलाने लगा और मैं ” आह इस मजा आ गया विवेक अब चाटो ना ” कहते हुए मस्त थी, तभी भैया मेरी बुर को उंगलियों की मदद से फैलाए और जीभ से चाटने लगे तो मेरे पूरे बदन में सिहरन पैदा हो चुकी थी और मेरे रसीले चूत का रस चखते हुए वो बुर से जीभ निकाले फिर एक टॉवल लपेटकर रूम से निकल गए और मैं बिस्तर पर नंगे लेटी रही, अब विवेक का लंबा और मोटा लन्ड चूसना था फिर जाकर चुदाई कराती जिसके लिए मैं तरस रही थी। विवेक वापस रूम आया और बेड पर लेट गया तो मैं उनके ऊपर सवार हुए उनके छाती को चूमने लगी, अपने घुटनो के बल पर थी तो मेरे सीने से लगे चूची को वो पकड़ मसलने लगे और मैं उनके छाती से कमर तक चूमने के बाद लन्ड को पकड़ ली फिर उसका चमड़ा नीचे कर सुपाड़ा को अपने रसीले ओंठ पर रगड़ने लगी, भैया कामुक हो चुके थे तो मैं उनसे नज़रें मिलाते हुए मुंह खोल ली फिर उनके आधे से अधिक लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी, उनका गेहूंवा रंग का लौड़ा मोटा और लंबा था जिसे अपने मुंह का प्यार देते हुए झांटों में उंगली घुमा रही थी और तभी विवेक ” उह आह अबे साली अब मुंह का झटका तो दे ” और मैं उनकी तड़प देख मुखमैथुन करने लगी तो भैया मेरे बूब्स दबाते हुए चूतड को ऊपर नीचे कर रहे थे और मेरी मुंह को ही चोदने में लगे हुए थे, सुपाड़ा तो मेरे गले से अटक जा रही थी फिर मुंह से लार टपकने लगा तो लन्ड बाहर निकाल जीभ से चाट दी फिर वाशरूम जाकर मूतने लगी और आकर भैया के रूम में बोली ” मौसम सुहावना है विवेक चलो छत पर खुले आसमान के नीचे ही
( विवेक बोला ) उहुं तेरा पति जान गया तो दिक्कत हो जाएगी ” और मैं बेड पर लेट गई, विवेक मेरे नाईट गाऊन उतार डाला फिर मेरी जांघों को फैलाकर बुर में लन्ड घुसाने लगा, आधा लन्ड तो आराम से हजम कर गई आखिर दो साल से बुर चुदवा जो रही हूं और फिर मुझे दर्द होने लगा तो विवेक मेरे मुंह पर हाथ रख जोर का धक्का दे मारा और मेरी दर्द भरी आवाज ” आह फाड़ दिया मेरी बुर ” मानो गले में ही अटक गई लेकिन बुर का तार तार ढीला करता हुआ विवेक चोदे जा रहा था और फिर मेरे ऊपर सवार होकर धकाधक चुदाई करने लगा तो मैं उसके गाल चूमने लगी साथ ही अपने चूतड उछाल उछाल कर चुदाने लगी ” आह ओह तू तो मेरे पति से भी अधिक हॉट है अब तुझे भैया नहीं सैयां बनाकर चुदाई करवाऊंगी ” और उसका लन्ड मेरी बुर में रगड़ा देता हुआ गर्म कुंड बना चुका था, मेरे बूब्स उसकी छाती से रगड़ खा रहे थे तो मैं चूतड उछालते हुए मस्त थी। विवेक का लन्ड मेरी बुर में अब तक घुसने वाला तीसरा लन्ड था लेकिन मोटा और लंबा तो मैं ” आह ओह उफ अब बस करो मेरी लहर रही है
( विवेक मेरे ओंठ चूम लिया ) साली मुझे अपना चूची दिखाने के लिए पल्लू गिराती है तो बुर दिखाने के लिए दरवाजा खुला छोड़ मूतने लगती है, तुझे तो चोद चोदकर पेट से कर दूंगा ” मैं चूतड स्थिर किए चुदाती रही और कुछ पल में ही बुर वीर्य से लबालब हो गया तो मैं उसके गाल चूम ली ” अब तो मैं पेट से हो ही जाऊंगी
( में हंस दिया ) तो क्या दिक्कत मामा और बाप दोनों कहलाऊंगा ” फिर दोनों अलग हुए तो मैं फ्रेश होकर पति के साथ सो गई और भैया अब मेरे दीवाने हो गए, अगले दिन वो मुझे अनोखे अंदाज में चोदे…

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