स्वाति की शादी : मेरी सुहागरात

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हेल्लो फ्रेंडस,
ये तो असमंजस में आपको डालने वाली बात हुई ना की मेरे पति के चाचा की बेटी की शादी आज है और उसकी शादी के रस्म के वक्त मेरी सुहागरात हो रही थी, आप समझ जाएंगे कि दीपा की सुहागरात किसके साथ और किस परिस्थिति में हुई, आज देर शाम स्वाति के लिए बारात आने वाली है तो पूरे घर को रोशनी से सजाया गया है, कई जगह पर जेनरेटर लगा हुआ है जोकि दोपहर से ही काफी शोरगुल कर रही है तो शाम होते ही घर में विवाह गीत संगीत औरतों द्वारा गाया जा रहा था तो मैं अब अपने रूम से निकल वाशरूम गई और फिर फ्रेश होकर स्नान कर ली, जिस घर में मेरे रहने का इंतजाम था वहां थोड़ी चहल पहल कम थी और अधिकतर औरतें ही यहां रुकी हुई थी सो थोड़ी नाफिक्र थी। दीपा स्नान करके बदन को टॉवेल से पोंछ ली फिर पेटीकोट को स्तन के उपर से बांध एक टॉवेल गर्दन से नीचे तक डाल वाशरूम से निकली, वैसे भी मुश्किल से रूम और वाशरूम की दूरी २०-२५ फीट थी लेकिन घर के प्रथम मंजिले पर के बरामदे पर एक दूरी से नजर पड़ सकती थी, सो मैं तेजी से रूम की ओर गई फिर रूम का दरवाजा सटाकर अपने बैग से एक पीले रंग की साड़ी, साथ में पेटीकोट और ब्लाऊज़ निकाली तो ब्रा भी लगाना जरूरी था, अब मैं अपने तन पर से भींगे पेटीकोट को उतार फैंकी और फिर ब्रा लगाई साथ ही पेटीकोट फिर अपने ब्लाऊज और अंत में साड़ी पहन ली। दीपा २६ साल की मचलती जवानी थी तो उसने अपने बिन बाहों वाली बैकलेस ब्लाऊज पहन लोगो को आकर्षित करने का मूड बना रखा था साथ ही अपने बदन पर इत्र लगाकर सुगन्ध दे रही थी तो वक़्त शाम के सात बजे थे और अब मैं बेड पर बैठ सोचने लगी कि मेरी ननद तो आईं है नहीं तो फिर किसके साथ थोड़ा अटखेली करूंगी, और तभी ध्यान में मुझे रिंकी आईं जोकि बेड पर मेरे बगल में सो रही थी। मैं बेड पर लेटी थी कि मेरे पति ने मुझे कॉल किया ” तुम तैयार हो ना
( मैं ) हां तैयार हो रही हूं, क्यों
( वो ) ठीक है तुम इस आंगन में थोड़ी देर बाद आ जाना, बारात आधे घंटे में आने वाली है ” फिर मैं अकेले बोर हो रही थी कि रिंकी आईं, मुश्किल से १८ साल की होगी और मुझे देख बोली ” भाभी आप तो गजब की खूबसूरत लग रही हैं
( मै मुंह इठलाते हुए बोली ) रहने दे अब मेरा कोई वैल्यू नहीं है, समझी ” फिर दोनों रूम से निकले और सीढ़ी से उतर बगल के आंगन गए तो वहां आंगन में ही शादी का मंडप बना हुआ था तो घर और बाहर की महिलाएं साथ ही लड़कियां बारात के स्वागत की तैयारी कर रही थी, उनके लिए फूलों का इंतजाम किया गया था जोकि उनके द्वार पर आते ही उन पर बरसाया जाता तो मैं भी अपने उम्र की औरत के साथ हुई फिर बातचीत कर रही थी….. कुछ देर बाद बेंड बाजा और पटाखे की आवाज सुनाई दी तो सभी महिलाएं आंगन के द्वार तक फूलों कि थाल लिए जाने लगी, साथ में मैं और रिंकी भी थे तो द्वार पर रुक गए तो दूसरी ओर घर के मर्द लोग उनके स्वागत के लिए खड़े थे फिर दूल्हे का गाड़ी आया तो पहले कई बाराती थे जोकि शायद नशे में मस्त होकर बेंड बाजा पर डांस कर रहे थे फिर हम लोग उन सबों पर फूल बरसाने लगे तो दूल्हे का कार रुका और अब बाराती से घर के लोग गले मिलने लगे, अंत में गाड़ी से दूल्हे को गोद में लेकर लड़की का भाई आंगन घुसा फिर हम सब आंगन में तो बारातियों के लिए द्वार के पास ही नाश्ता और खाने का इंतजाम था, अब दूल्हे को गोद से उतार मंडप पर बिठाया गया तो शादी के ड्रेस में स्वाति बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। दीपा मंडप के एक किनारे नीचे बिछे गद्दे पर बैठी और फिर थोड़ी देर में शादी का रस्म शुरू हुआ तो कुछ बाराती भी मंडप के दूसरे किनारे लगे कुर्सी पर बैठकर शादी की रस्म देखते हुए कॉफी और नाश्ता कर रहे थे, इतने में मुझे अपने मोबाइल पर रिंग सुनाई दिया और मैं उस शोरगुल से थोड़ी दूर होकर कॉल रिसीव की ” हेल्लो कौन
( वो हंसने लगा ) भाभी जी आवाज तो पहचानिए फिर दिखेंगी तो पहचान ही लेंगी ” तो मैं कॉल डिस्कनेक्ट कर वापस मंडप की ओर जाने लगीं तो दुबारा रिंग होने लगा और मैं गुस्से में कॉल रिसीव कर बोली ” कौन है बदतमीज क्यों मुझे परेशान कर रहे हो
( वो ) आपका देवर और आशिक भी क्यों भाभी गुस्से में तो आपकी गाल सेव की तरह लाल लग रही है ” वो कुछ दूरी पर ही खड़ा था तो मेरी नजर उसपर गई और मैं उसके ओर गई तो भाभी और देवर के बीच बातचीत कोई भला क्या शक करेगा, तभी वक़्त रात के ०८:३० हो रहे थे तो मै विवेक के साथ ही आंगन से निकल पड़ी और संयोग अच्छा था कि मेरे पति ना तो आंगन में थे और ना ही बाहर बारातियों के साथ तो मुझे मालूम नहीं था कि मेरा देवर विवेक मुझे किधर ले जा रहा था। दीपा अब शादी के घर से ५०-६० मीटर की दूरी पर रुकी ” विवेक किधर जाना है
( वो ) यहीं पर अपनी गाड़ी लगी है उसमें बैठकर दोनों बातचीत करेंगे ” तो कुछ दूरी पर कई कार और गाड़ी लगी हुई थी, निश्चित रूप से बाराती इससे आए होंगे तभी विवेक एक बड़ी कार का गेट खोला तो वहां कोई नहीं था और दोनों कार के पिछले सीट पर बैठे तो विवेक गेट बंद कर ए सी चालू किया फिर दोनों एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे को चूमने लगे, उसकी बाहों में आकर मैं मस्त थी तो उसके गोद में अपनी गोल गद्देदार चूतड रख उसके गर्दन में हाथ डाल ओंठ चूमने लगे और विवेक मेरी पीठ सहलाते हुए ओंठ को मुंह में लिए चूसने लगा तो दीपा उसका साथ देने लगी, एक ओर स्वाति की शादी हो रही थी तो दूसरी ओर दीपा अपने दूसरे पति यानी देवर के साथ सुहागरात मनाने को तैयार थी….. to be continued.

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